यूपी में मोदी के खिलाफ खड़े होने से पहले बिखरा विपक्ष का कुनबा, बीजेपी को मिली बड़ी राहत

विशेष प्रतिनिधि
मंगलवार, 19 मार्च 2019 (10:04 IST)
लखनऊ। केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों के महागठबंधन की गांठे लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान होने के साथ खुलने लगी है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों ने जोर शोर के साथ जो एकता का राग छेड़ा था वो अब चुनाव की तारीखों के एलान के बाद बेसुरा होता जा रहा है। कांग्रेस की मोदी के खिलाफ पूरे विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश उत्तर प्रदेश में ना केवल दम तोड़ती हुई दिखाई दे रही है, बल्कि अब वहीं सहयोगी जो पहले साथ होने का दावा कर रहे थे, अब उसको आंख दिखाने लगे हैं।
 
पहले तो सूबे में मोदी का विजयी रथ रोकने के लिए महा गठबंधन बनाने की बात हुई। सबसे बड़े दल सपा और बसपा ने अपास में गठबंधन करते हुए कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली सीट छोड़ दी थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफ कहा था कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराने के लिए जो महागठबंधन बना है उसमें कांग्रेस भी शामिल है, लेकिन अब बात पूरी तरह बिगड़ चुकी है।
 
तारीखों के ऐलान के बाद बिगड़ी बात -  लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान होने के बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की महागठबंधन बनाने की कोशिशों को बड़ा झटका लगा। कांग्रेस में प्रियंका गांधी की एंट्री के बाद ये अटकलें लगाई जा रही थी कि देश के इस सबसे बड़े सूबे में भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस-सपा-बसपा मिलकर चुनाव लड़ेगी। लेकिन ये अटकलें उस वक्त पूरी तरह खारिज हो गई जब बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऐलान कर दिया कि पार्टी देश के किसी भी राज्य में कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी।
 
मायावती ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी के साथ हुए गठबंधन को फर्स्ट और परफेक्ट बताया है। मायावती ने कहा कि सपा के साथ हुआ गठजोड़ नेकनियति और आपसी सम्मान के साथ काम कर रहा है और सपा-बसपा का गठबंधन भाजपा को हराने में सक्षम है।
 
प्रियंका की एंट्री के बाद बदले समीकरण-  उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी की एंट्री के बाद कांग्रेस के समीकरण एकदम बदल गए हैं। चुनाव के ऐलान से ठीक पहले प्रियंका को महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान देने के साथ ही कांग्रेस के समीकरण एकदम से बदल गए। कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए प्रियंका ने अपने प्लान पर काम करना शुरू किया। इसके बाद चुनावी प्रचार अभियान का आगाज करते हुए प्रियंका इन दिनों गंगा यात्रा पर है, इसके साथ कांग्रेस ने ताबड़तोड़ उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर शुरू कर दिया है।
 
इस बीच यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने बसपा और सपा गठबंधन के लिए सात सीटें छोड़ते हुए उन पर चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया था। लेकिन कांग्रेस के इस एलान के बाद बसपा और सपा भड़क गई। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि कांग्रेस सभी अस्सी सीटों पर चुनाव लड़े और वोटरों के बीच कोई भ्रम न फैलाए। मायावती ने फिर दोहराया कि यूपी सहित देश के किसी भी राज्य में कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं है और सपा और बसपा का गठबंधन बीजेपी को हराने में पूरी तरह सक्षम है।
 
इसके बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश कि उत्तर प्रदेश में एसपी, बीएसपी और आरएलडी का गठबंधन भाजपा को हराने में सक्षम है। कांग्रेस पार्टी किसी तरह का कन्फ़्यूज़न ना पैदा करे । पहले सपा और अब बसपा के इस रूख के बाद तय है कि उत्तर प्रदेश में त्रिकोणीय मुकाबला होगा। कांग्रेस को अपनी अलग राह चुनेनी पड़ेगी।
 
कांग्रेस की छोटे दलों के साथ गठबंधन बनाने की रणनीति - उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अब चुनावी मुकाबले में छोटे दलों के साथ गठबंधन बना रही है । पार्टी ने अपना दल (कृष्णा पटेल) और जनाधिकार पार्टी पार्टी के साथ गठबंधन के साथ गठबंधन किया है। इसके साथ ही कांग्रेस महान दल के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने जा रही है।

कांग्रेस की इस रणनीति को वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी जरूरी मानते हुए कहते हैं कि कांग्रेस को देश को भरोसा दिलाना होगा कि कांग्रेस का चुनावी मुकाबले में है और सरकार बना सकती है, इसके साथ वो ये भी कहते हैं कि लोग मोदी के सामने राहुल को कमजोर मानते हैं इसलिए कांग्रेस पर गठबंधन बनाने पर जोर दे रही है। इसलिए कांग्रेस अलग अलग राज्यों में गठबंधन बनाने पर जोर दे रही है। वहीं बसपा और सपा के साथ कांग्रेस के गठबंधन नहीं होने पर इसे रामदत्त त्रिपाठी तीनों ही दलों के भविष्य में अपने राजनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए लिया फैसला बताते हैं।
 
उत्तर प्रदेश में त्रिकोणीय मुकाबला - उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए अब चुनावी मुकाबले की तस्वीर साफ हो गई है। बसपा-सपा और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन में सपा 37 सीटों पर, बहुजन समाज पार्टी 38 और राष्ट्रीय लोकदल 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वहीं अमेठी और रायबरेली पर उम्मीदवार नहीं उतारा था, जबकि कांग्रेस सात सीटों पर अपने उम्मीदवारों को नहीं उतारने का ऐलान किया है। दूसरी तरफ बीजेपी अपने पुराने सहयोगी दल के साथ सभी सीट पर चुनावी मैदान में है।

इस पूरे चुनावी मुकाबले पर उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि सपा, बसपा, आरएलडी और कांग्रेस भले ही अलग अलग मुखौटे के रूप में सामने हो लेकिन इन सब का एक मात्र लक्ष्य मोदी को हटाने का है। राकेश त्रिपाठी आगे कहते हैं कि जो भी वोट बीएसपी, सपा के खाते में जाएगा उससे कांग्रेस ही मजबूत होगी लेकिन देश आज एक मजबूत सरकार चाहता है इसलिए एक बार मोदी के नेतृत्व में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनेगी।
 

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