प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी 5 साल में पहली बार 1 मई को अयोध्या जाएंगे, जहां वह एक चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। हालांकि अभी यह खुलासा नहीं हुआ है कि मोदी टेंट में विराजित रामलला के दर्शन करेंगे या नहीं।
नरेन्द्र मोदी के अयोध्या दौरे की खबर सामने आने के बाद इसके कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है अयोध्या यात्रा के जरिए मोदी एक तीर से कई निशाने साधेंगे। हो सकता है कि वे चुनावी सभा के अलावा अयोध्या के संत-महंतों से भी मुलाकात करें और राम मंदिर को लेकर परोक्ष या प्रत्यक्ष संदेश भी दें। ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि राम मंदिर मुद्दे पर पिछले कुछ समय से संतों में मोदी को लेकर नाराजी है। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
यूपी विधानसभा के लिए 2017 में हुए चुनाव में राम मंदिर मुद्दा बना था। साथ ही मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ कई बार अयोध्या की यात्रा कर चुके हैं। लेकिन, मोदी का अयोध्या नहीं पहुंचना संतों को खल रहा है। हो सकता है कि इस मोदी के इस दौरे के बाद उनकी नाराजी दूर हो जाए।
राम मंदिर को लेकर अक्टूबर 2018 में अयोध्या में संत परमहंस दास ने आमरण अनशन किया था। उस समय उनका कहना था कि जो भाजपा राम मंदिर के नाम पर पूर्ण बहुमत से सत्ता में बैठी है, उसके प्रधानमंत्री दुनिया में घूम रहे हैं, लेकिन अयोध्या में रामलला के दर्शन नहीं कर सकते। देश में हर समस्या को लेकर चर्चा हो रही है, लेकिन राम मंदिर को लेकर चर्चा नहीं हो रही है।
यह भी माना जा रहा है अयोध्या से मोदी 6, 12 और 19 मई को कई राज्यों की 169 सीटों के लिए संदेश देने में सफल रहें। इन चरणों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, यूपी, हिमाचल, हरियाणा, बंगाल समेत अन्य राज्यों की लोकसभा सीटों पर चुनाव होंगे।
प्रियंका भी गई थीं अयोध्या : उल्लेखनीय है कि चुनावी माहौल शुरू होने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी अयोध्या का दौरा किया था। विभिन्न मंदिरों में माथा टेकने वाली प्रियंका अयोध्या में रामलला के दर्शन करने नहीं गई थीं। इसके लिए उन्होंने तर्क दिया था कि चूंकि मामला अदालत में चल रहा है, इसलिए वे दर्शन के लिए नहीं गईं। हालांकि 2018 के अंत में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने जरूर अयोध्या पहुंचकर रामलला के दर्शन किए थे।