रतलाम-झाबुआ सीट : पहले बेटे को हराया, अब पिता से मुकाबला

Webdunia
मंगलवार, 16 अप्रैल 2019 (15:20 IST)
झाबुआ। मध्यप्रदेश के रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी जीएस डामोर पांच महीने पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को हराने के बाद अब उसी प्रत्याशी के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया का सामना कर रहे हैं।

डामोर ने झाबुआ विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विक्रांत भूरिया को करीब 10 हजार मतों से पराजित किया था। लोकसभा चुनाव में अब भाजपा ने उन्हें विक्रांत भूरिया के पिता कांतिलाल भूरिया के सामने चुनावी मैदान में उतारा है।

गुजरात की सीमा से सटी ये आदिवासी बहुल सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। हालांकि 16वें लोकसभा चुनाव में भाजपा के स्व. दिलीप सिंह भूरिया ने यहां कमल खिलाया, लेकिन उनका निधन हो जाने के कारण यहां हुए उपचुनाव में एक बार फिर भूरिया ने इस सीट को कांग्रेस के खाते में डाल दिया।

रतलाम लोकसभा सीट पर झाबुआ जिले की झाबुआ, थांदला, पेटलावद, अलीराजपुर जिले की जोबट और अलीराजपुर और रतलाम जिले की रतलाम सिटी, रतलाम ग्रामीण एवं सैलाना विधानसभा सीटें आती हैं। भाजपा ने इस बार नया चेहरा उतारकर कांग्रेस के इस गढ़ में कांग्रेस को चुनौती दी है। आदिवासी बहुल इस सीट पर लंबे समय से इंदौर-दाहोद रेल लाइन और इंदौर-अहमदाबाद फोनलेन का काम पूरा नहीं होने के कारण ग्रामीणों में खासा आक्रोश है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Gold Prices : शादी सीजन में सोने ने फिर बढ़ाई टेंशन, 84000 के करीब पहुंचा, चांदी भी चमकी

संजय राउत गुस्से में, उठाए चुनाव परिणाम पर सवाल, जनता के बारे में कही ये बात

टमाटर अब नहीं होगा महंगा, जनता को मिलेगी राहत, सरकार ने बनाया यह प्लान

'गौतम सर ने कहा था कि तेज गेंदों का ऐसे सामना करो जैसे देश के लिए गोली खानी हो': नीतिश रेड्डी

पोस्‍टमार्टम और डीप फ्रीजर में ढाई घंटे रखने के बाद भी चिता पर जिंदा हो गया शख्‍स, राजस्‍थान में कैसे हुआ ये चमत्‍कार

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: महाराष्ट्र में महायुति की प्रचंड जीत, फडणवीस ने बताया- कौन बनेगा CM

महाराष्‍ट्र में नहीं चला छोटे दलों का जादू, अमित ठाकरे की करारी हार

LIVE: महाराष्‍ट्र में रुझानों में महायुति की सरकार, महागठबंधन का हाल बेहाल

LIVE: झारखंड में रुझानों में हेमंत सोरेन की सरकार, JMM गठबंधन को कितनी सीटें

महाराष्ट्र में क्यों घटा पवार का पावर, क्या शिंदे हैं शिवसेना के असली वारिस?

अगला लेख