साथी पर तेजाब....यह प्यार कैसे हो सकता है

Webdunia
प्रीति सोनी 
 
प्यार में असफल होने पर अपनी ही प्रेमिका के चेहरे पर तेजाब फेंक देना...धर्म नहीं बदलने पर चाकू मारकर घायल कर देना...यह प्रेम का मसला है या फिर किसी विकृत मानसिकता का?जिस प्रेम के किस्से हमारे देश में पूरे सम्मान के साथ सुनाए जाते हैं, जहां प्रेम को त्याग और समर्पण से जोड़कर देखा जाता है, वहीं प्रेम का स्तर इतना कैसे गिर गया कि तुच्छ इच्छाओं की पूर्ति नहीं होने पर अपनी प्रेमिका पर ही हमला करने की जरूरत पड़ गई। आखिरकार वह कौन मानसिकता है जो प्रेम को अपराध बनाने में बदल देती है?  

1.अविश्वास- दो लोगों में आपसी विश्वास की कमी होना प्रेम की सबसे बड़ी कमजोरी है। अगर एक-दूसरे पर विश्वास ही नहीं, तो कभी भी इस रिश्ते में दरार पड़ सकती है और अविश्वास अत्यधिक बढ़ जाता है तो द्वेष जन्म लेता है। यही द्वेष विकृत मानसिकता को जन्म देता है। 

2.एकाधिकार की भावना- जब रिश्ते में एकाधिकार की भावना हो तो छोटी-छोटी चीजें भी रिश्ते को नुकसान पहुंचाने लगती है। क्योंकि इस भावना के चलते एक साथी अप्रत्यक्ष से रूप से दूसरे के मानवीय अधिकार को छीनने लगता है। कई बार तो ये भावना किसी जरूरतमंद की मदद करने से भी रोकती है और अपनी मर्जी से अपनी जिंदगी  नहीं जीने देती। नतीजा आपस में टकराव के रूप में सामने आता है। 

 

3.जलन- जब साथी की एकाधिकार की भावना को बगैर समझे उसका उल्लंघन किया जाता है तो उसके मन में जलन की भावना पैदा होती है जो प्रेम के लिए जहर का काम करती है। इस जलन के चलते व्यक्ति न केवल उस विषय को, जिसके प्रति जलन है, बल्कि अपने साथी को भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष्र रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।  ऐसी परिस्थितियां एकतरफा प्रेम में भी बनती है।  


4.पुरुष अहम : इसे हम मेल ईगो कह सकते हैं। यह जानते हुए भी कि अपने साथी की बात या उसकी शिकायत बिल्कुल सही है फिर भी इसे सही करार नहीं दे पाता और एक पुरुष होने के नाते जब उसकी बात गलत ठहरा दी जाती है तो उसका यह ईगो जीवित हो उठता है और खुद के आधिपत्य को दर्शाने के लिए वह किसी भी हद तक चला जाता है।  

5.समझ की कमी- जब दो लोगों के बीच आपसी समझ खत्म सी हो जाए तो एक साथी कुछ भी कहे या करे, वह  बात दूसरे के लिए गलत हो सकती है ऐसे में कोई निर्णय पर पहुंचने के बजाय एक दूसरे की परिस्थिति को समझना बेहद आवश्यक होता है।  

6. क्रूरता- किसी भी विपरीत परिस्थिति में अपने साथी के प्रति क्रूरता और साथी द्वारा उस क्रूरता को सहन कर उस पर मोहर लगा देना सबसे बड़ा कारण है। जिससे व्यक्ति को बढावा मिलता है और वह अपनी क्रूरता की हदें एक न एक दिन पार कर ही देता है जिसे साथी को ही भुगतना पड़ता है। 

7.अहम की भावना- दो करीबी लोगों के बीच अहम की भावना दोनों को एक दूसरे से दिमागी तौर पर अलग कर देती है। एक सी स्थिति में इंसान 'हम' को महत्व देने के बजाय 'मैं' को महत्व देने लगता है और दूसरे के अहम को चोट पहुंचती है। अहम पर चोट पहुंचने की स्थिति में इंसान हमेशा क्रोश या आवेगवश नुकसान ही करता है।  

8.प्रेम से बड़ा धर्म- इंसानियत के तौर पर प्रेम को सभी धमों से ऊपर रखा गया है लेकिन जब प्रेम पर धर्मांधता और जातिवाद हावी हो जाता है तो प्रेम समाप्त हो जाता है। जब प्रेम ही समाप्त हो जाए तो किसी भी रिश्ते में केवल, छल, कपट, द्वेष, ईर्ष्या और क्रोध जैसी नकारात्मक चीजें ही रह जाती है जो इस तरह की मानसिक विकृति को जन्म देती है।   

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