Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मध्यप्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव जीतना कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती

हमें फॉलो करें मध्यप्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव जीतना कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती

विशेष प्रतिनिधि

भोपाल। मध्यप्रदेश में भले ही कांग्रेस ने सपा-बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन ने सरकार बना ली हो, लेकिन कांग्रेस की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव है।


कांग्रेस की ओर से विधानसभा अध्यक्ष के लिए सीनियर एनपी प्रजापति का नाम सामने आया है। हालांकि इस पर अभी अंतिम मुहर लगना बाकी है, वहीं बीजेपी विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस को घेरने की तैयारी कर रही है। अगर सदन के मौजूदा सियासी गणित की बात करें तो कांग्रेस के खुद के 114 विधायक सदन में हैं। सपा के 1, बसपा के 2 और चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सदन में सरकार के पक्ष में कुल विधायकों की संख्या 121 है, वहीं बीजेपी 109 विधायकों के साथ विधानसभा में विपक्ष में मौजूद है।

अगर आंकड़े देखे जाएं तो कांग्रेस को विधानसभा अध्यक्ष के लिए कोई मुश्किल का सामना नहीं कर पड़ेगा, लेकिन सूबे में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कैबिनेट के गठन को लेकर जिस तरह कांग्रेस के अंदर और उसको समर्थन देने वाले पार्टियों और निर्दलीय विधायकों में खींचतान मची हुई है, उससे कांग्रेस के लिए विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव जीतना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।

मंत्रियों के शपथ ग्रहण करने के बाद जहां कांग्रेस को अपनी ही पार्टी के विधायकों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं पार्टी को समर्थन देने वाले समाजवादी पार्टी और निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस को आंख दिखाने लगे हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही सार्वजनिक तौर पर कमलनाथ कैबिनेट में सपा विधायक को मंत्री न बनाए जाने पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।

अखिलेश यादव साफ कह चुके हैं कि सपा विधायक को मंत्री नहीं बनाए जाने से अब समाजवादी पार्टी के रास्ते खुले हैं, वहीं कांग्रेस को समर्थन देने वाले चार निर्दलीय विधायकों में से वारासिवनी से निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल के मंत्री बनने के बाद तीन अन्य निर्दलीय विधायक भी सरकार से नाराज चल रहे हैं। बसपा भी कांग्रेस से दूर होती दिख रही है।

बताया जा रहा है कि बसपा मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का मन बना रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि बसपा को कांग्रेस का समर्थन कब तक जारी रहेगा। कांग्रेस से सत्ता छीनने के लिए बीजेपी अभी हर दांवपेंच आजमा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उमा भारती पहले ही आशंका जाहिर कर चुके हैं कि कांग्रेस की सरकार कितने दिन चलेगी, वहीं बीजेपी विधानसभा अध्यक्ष के लिए अपना प्रत्याशी खड़ा कर कांग्रेस को पहले दिन से ही मनोवैज्ञानिक तरीके से घेरने की रणनीति पर काम कर रही है। ऐसे में देखना होगा कि सियासी दांवपेच में कौनसी पार्टी बाजी मारती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दुनिया के इन सिनेमाघरों में ऐसी सुविधाएं मौजूद हैं, जिन्हें जानकर आप दंग रह जाएंगे