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मध्यप्रदेश में डॉक्टर ने मरीज के परिजनों से कहा, वेंटिलेटर ले आओ, एक करोड़ का आता है...

हमें फॉलो करें मध्यप्रदेश में डॉक्टर ने मरीज के परिजनों से कहा, वेंटिलेटर ले आओ, एक करोड़ का आता है...

कीर्ति राजेश चौरसिया

, सोमवार, 11 फ़रवरी 2019 (14:47 IST)
सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में बहुत ही शर्मनाक मामला सामने आया है, जहां डॉक्टर ने मरीज के परिजनों से कहा कि 1 करोड़ का वेंटीलेटर ले आओ तो इलाज कर देंगे।
 
अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे मरीज के परिजनों का आरोप है कि शिशु रोग विभाग में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ज्योति राउत ने कुछ ऐसी मांग रख दी, जिसे पूरा करना गरीब परिवार के बस में नहीं था। डॉक्टर ने मरीज परिजनों से कहा कि एक करोड़ रुपए की वेंटिलेटर मशीन आपके बच्चे के इलाज के लिए चाहिए, आप ला देंगे क्या? अन्तत: अव्यवस्थाओं के बीच मासूम की मौत हो गई।
 
इस पूरे मामले को लेकर परिजनों डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन को बच्ची की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया, वहीं उनके खिलाफ करवाई की मांग को लेकर बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के प्रशासनिक भवन के बाहर बच्ची का शव रखकर अपना आक्रोश जाहिर किया।
 
दरअसल, शुक्रवार को कर्रापुर के देवेन्द अहिरवार की डेढ़ वर्ष की मासूम बेटी अंशिका खेलते-खेलते गर्म पानी की चपेट में आ गई थी, जहां वह बुरी तरह झुलस गई।

परिजनों ने बच्ची को बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर में इलाज हेतु भर्ती किया। परिजनों ने इस मामले में डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि बच्ची की स्थिति को देखते हुए अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों ने उसे निजी अस्पताल में ले जाने पर जोर दिया। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने पर हम लोगों ने उसका वहीं इलाज करने को कहा।
 
परिजनों के मुताबिक डाक्टरों ने बच्ची को भर्ती तो कर लिया पर उसका इलाज शुरू नहीं किया। वह कई घंटों तड़पती रही।जब परिजनों ने उसकी हालात को देखते हुए डॉक्टर से उचित इलाज की बात कही तो वह हम लोगों पर ही नाराज होने लगे और अस्पताल में एक करोड़ रुपए का वेंटिलेटर और प्लास्टिक सर्जन नहीं होने की बात कह दोनों को बाहर से लाने का कहने लगीं। इस बीच बच्ची की हालत और बिगड़ गई और उसने दम तोड़ दिया।
 
मृत बालिका के चाचा के अनुसार उसने इस मामले मे प्रशासन से लेकर शासन तक गुहार लगाई पर कोई संतोषजनक जबाब नहीं मिला। पीड़ित परिवार ने इस मामले में गोपालगंज थाने में लिखित शिकायत भी‌ दर्ज कराई है। जब इस पूरे मामले मे मेडिकल कॉलेज प्रंबधन का पक्ष जाने की कोशिश की तो जिम्मेदार लोगों ने छुट्टी के चलते‌ बाहर होने की बात कह कुछ भी कहने से इंकार‌ कर दिया है।

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