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'आजादी का मूल मंत्र था वंदे मातरम..,' सीएम डॉ. मोहन यादव ने बताया राष्ट्रीय गीत का महत्व, पूरा प्रदेश रंगा देशभक्ति के रंग में

विकास सिंह
शुक्रवार, 7 नवंबर 2025 (12:08 IST)
मध्यप्रदेश में आयोजित हुआ ‘वंदे मातरम’ का 150वां स्मरणोत्सव
सीएम डॉ. यादव ने भोपाल के शौर्य स्मारक में किया कार्यक्रम का शुभारंभ
चार चरणों में सालभर चलेगा स्मरणोत्सव
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा-वंदे मातरम का एक-एक शब्द मां भारती की आराधना 
 
भोपाल। मध्यप्रदेश के लिए 7 नवंबर का दिन ऐतिहासिक रहा। पूरा प्रदेश देशभक्ति से ओतप्रोत दिखाई दिया। सबकी जुबान पर वंदे मातरम गीत था। लोग इस गीत को आत्मसात करते नजर आए। मौका था ‘वंदे मातरम’ के 150वें स्मरणोत्सव का। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल के शौर्य स्मारक में भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और दीप प्रज्जवलित कर इस उत्सव का शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि बंकिमचंद्र जी का यह गीत आजादी का मूल मंत्र बना था। लेकिन, आजादी के साथ जब हमें राष्ट्रगीत को अपनाने का समय आया, तो देश को दिग्भ्रमित करने की कोशिश की गई। वंदे मातरम के इतिहास को जानने की आवश्यकता है। उन्होंने जनता को स्वदेशी अपनाने का संकल्प भी दिलाया। कार्यक्रम में इस राष्ट्रीय गीत का महत्व और इतिहास बताती हुई पत्रिका का विमोचन भी किया गया। ‘वंदे मातरम’ का 150वां स्मरणोत्सव चार चरणों में साल भर आयोजित किया जाएगा।
 
इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि वंदे मातरम के इस 150वें स्मरणोत्सव में हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मनोभाव को देखा। यह उनकी कल्पनाशीलता भी है जिसने अतीत के 150 साल पुराने अप्रतिम गीत की महिमा और बढ़ा दी। इस गीत ने न केवल आजादी की अलख जगाई, बल्कि लोगों की आत्मा को आंदोलन के लिए प्रेरित किया। वंदे मातरम महज एक गीत नहीं, वो हमारे लिए मंत्र है। आजादी के उस दौर में हमने शहीद भगत सिंह को फांसी के फंदे पर चढ़ते देखा। चंद्रशेखर आजाद को शहादत देते देखा। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि उस दौर में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम ने शरीर में प्राण की तरह काम किया। 
 
शब्दों की रचना से मन में आते हैं नए संकल्प-मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आजादी के किसी भी संघर्ष में इतिहास रचा जाता है। चाहे अमेरिका हो, इंग्लैंड हो, जब आजादी की अलख जगाई जाती है, तब इस तरह के शब्दों की रचना से नए प्रकार का स्पंदन होता है, मन में नए प्रकार के संकल्प आते हैं। हर व्यक्ति अपने देश के उस मूल मंत्र के आधार पर आजादी के लिए प्रेरित होकर नई पहचान बनाता है। उन्होंने कहा कि 'कदम-कदम बढ़ाए जा...' गीत को हमारे पुलिस बैंड ने शानदार तरीके से प्रस्तुत किया। यह गीत नेता जी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज से जुड़ता दिखाई देता है। इस गीत में देश की मां सरस्वती, लक्ष्मी और मातृभूमि की त्रिदेवी संस्कृति समाहित है। 
 
वंदे मातरम से जुड़े विशेष आयोजन होंगे-सीएम डॉ. यादव ने कहा कि बंकिमचंद्र जी का यह गीत आजादी का मूल मंत्र बना था। लेकिन, आजादी के साथ जब हमें राष्ट्रगीत को अपनाने का समय आया, तो देश को दिग्भ्रमित करने की कोशिश की गई। वंदे मातरम् के इतिहास को जानने की आवश्यकता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1950 में कहा था कि हमें राष्ट्रगान जन-गण-मन के साथ राष्ट्रगीत वंदे मातरम् को भी महत्व देने की आवश्यकता है। वंदे मातरम का स्मरणोत्सव अगले एक साल 7 नवंबर 2026 तक चलेगा। इस दौरान राष्ट्रीय त्योहार और अवसरों पर वंदे मातरम से जुड़े विशेष आयोजन होंगे।
 
सीएम ने जनता को दिलाया संकल्प-इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जनता को संकल्प भी दिलाया। जनता ने कहा कि भारत माता की सेवा और सम्मान के लिए हम यह संकल्प लेते हैं कि अपने दैनिक जीवन में अधिकतम भारतीय उत्पादों का उपयोग करेंगे। हम आयातित वस्तुओं की जगह देशी विकल्प अपनाएंगे। घर-काम और समाज में भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता देंगे। हम गांव-किसान-कारीगरों का समर्थन कर स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देंगे। युवाओं-बच्चों को स्वदेशी अपनाने के लिए प्रेरित कर नई पीढ़ी तक इसका महत्व पहुंचाएंगे। हम भारतीय भाषाओं का प्रयोग करेंगे। पर्यावरण के प्रति सजग रहकर स्वदेशी और प्राकृतिक अनुकूल उत्पादों का प्रयोग करेंगे। देश के पर्यटन स्थलों को प्राथमिकता देंगे। भारत माता की जय।    
 
वंदे मातरम भविष्य को हौंसला देता है- पीएम मोदी-दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में वंदे मातरम गीत के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व को प्रदर्शित करती विशेष प्रदर्शनी का अवलोकन किया। वंदे मातरम के समूह गायन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय गीत की रचना के 150वें स्मरणोत्सव पर डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम एक शब्द-एक मंत्र है-एक ऊर्जा है-एक स्वप्न है-एक संकल्प है। वंदे मातरम मां भारती की साधना है-आराधना है। वंदे मातरम हमें इतिहास में ले जाता है। यह हमें आत्मविश्वास से भर देता है। वंदे मातरम हमारे भविष्य को नया हौसला देता है कि ऐसा कोई संकल्प नहीं, जिसकी सिद्धी न हो सके। ऐसा कोई लक्ष्य नहीं, जो हम भारतवासी पा न सकें। वंदे मातरम के सामूहिक गान का यह अद्भुत अनुभव वाकई अभिव्यक्ति से परे है। इतनी सारी आवाजों में एक लय-एक स्वर-एक भाव-एक रोमांच-एक प्रवाह, ऐसा तारतम्य, ऐसी तरंग ने हृदय को स्पंदित कर दिया।

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