मध्यप्रदेश में डिजिटल ड्रग की एंट्री, 11 साल की बच्ची में मिले लक्षण

विकास सिंह
गुरुवार, 20 अक्टूबर 2022 (15:33 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ‘डिजिटल ड्रग’ से जुड़ा एक मामला सामने आया है। 11 साल की लड़की साउथ कोरियन बैंड BTS की की इतनी आदी हो गई है कि वह बैंड के सदस्यों की तरह खाने, कपड़े पहनने और यहां तक कि उन्हीं की तरह रहने की लत गई है। लड़की के परिजनों ने जब बच्ची के स्वभाव में परिवर्तन देखा तो वह डॉक्टर के पास बच्ची को लेकर गए जहां अब उसका इलाज हो रहा है।

बच्ची का इलाज कर रहे मनोचिकित्सक डॉक्टक सत्यकांत त्रिवेदी के मुताबिक डिजिटल ड्रग से जुड़ा संभवत: यह मध्यप्रदेश का पहला मामला है। 11 साल की बच्ची डिजिटल ड्रग की से पीड़िता है। बच्ची पिछले तीन महीने से साउथ कोरियन बैंड की इतनी आदी हो गई कि उसके स्वभाव में परिवर्तन आने लगा। बच्ची चिड़चिड़ेपन, अकेलेपन और खुद को कमरे में बंद करने जैसी हरकतें करने लगी। बच्ची की अब काउंलिंग के साथ उसका इलाज किया जा रहा है। बच्ची की माता-पिता के अनुसार बच्ची के स्वभाव में पिछले तीन महीने से इस तरह का परिवर्तन आया है।  

अहमदाबाद के स्कूली बच्चों हुए थे शिकार-हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद जिले में 8 स्कूली बच्चों के इस म्यूजिकल नशे की चपेट में आने की खबर आई थी। इन बच्चों के पेरेंट्स के मुताबिक इनके बच्चे साउथ कोरियन बैंड BTS के सदस्यों के खाने, कपड़े पहनने और यहां तक कि उन्हीं की तरह रहने की लत से जूझ रहे हैं। जिससे इन बच्चों के दैनिक दिनचर्या में काफी परिवर्तन आया है।

क्या है डिजिटल ड्रग?-साल 2010 में अमेरिका के ओक्लाहोमा शहर से चलने वाली डिजिटल ड्रग अब भारत में दस्तक दे चुकी है। डिजिटल ड्रग वास्तविकता में बाइनोरल बीट्स हैं। बाइनॉरल का शाब्दिक अर्थ है दो कान, बीट्स यानी ध्वनि अर्थात दो कानों से सुनी गई ध्वनि, इसमें दाएं और बाएं दोनों कानों में अलग-अलग साउंड फ्रिक्वेंसी के साथ सुनी जाती है। इसे सुनने पर दिमाग के कई भाग सक्रिय हो जाते हैं। जिससे हमारा दिमाग कई तरीके के न्यूरो ट्रांसमीटर श्रावित करता है नतीजन हम शांत, खोया हुआ सा, ध्यान में जाने जैसा महसूस करते है। यह हमें नशे की स्थिति में भी पहुंचा सकता है।

बाइनॉरल बीट्स कई प्रकार की होती हैं,जो अलग-अलग तरह की ध्वनि तरंगों से दिमाग के अलग-अलग हिस्से को सक्रिय या शांत करते हैं। मुख्य रूप से कोर्टिसोल, डोपामाइन, मेलटोनिन और सेरोटोनिन में बदलाव आता है। बाइनॉरल बीट्स को सुनकर लोगों के में रिलैक्स फील  होता है.परिणामस्वरूप लोग इन बीट्स को बार-बार सुनते हैं और धीमे धीमे एडिक्शन डेवलप हो जाता है।

पीड़ित में क्या है लक्षण?- दुनिया के कई देशों में युवाओं और बच्चों को अपनी गिरफ्तर में लेने के बाद भारत में डिजिटल ड्रग के केस सामने आने के बाद पेरेंट्स की चिंता बढ़ गई है। ‘वेबदुनिया’ ने वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी से डिजिटल ड्रग्स को लेकर बात की।

डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि लत लगने के बाद म्यूजिक नहीं मिलने पर व्यवहार में आक्रामकता,बेचैनी, चिड़चिड़ापन एयर घबराहट जैसे लक्षण आते हैं। BTS समूह के लोगों के बालों को रखने का तरीका भी टीनएजर्स को काफी प्रभावित करता है। वे उनके तरीके से ही जीना पसंद करने लगते हैं।

डॉ सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं उपचार का तरीका समस्या की गम्भीरता पर निर्भर करता है। अधिकांश बच्चों में ADHD,Anxiety और अकेलापन की समस्या देखने को मिल सकती है। ऐसे में माता-पिता को बच्चों को पर्याप्त समय देने के साथ उनको धीरे-धीरेइस आदत से दूर करना होगा।

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