सर्वश्रेष्ठ झांकी को प्रोत्साहन

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भोपाल। गणेशोत्सव को उल्हासपूर्वक मनाए जाने की परंपरा आज पूरे देश में व्याप्त है। यह परंपरा सर्वप्रथम बृहत रूप में मराठी भाषा-भाषी वर्ग द्वारा प्रारम्भ की गई थी, जिसे पूरे देश ने अपनाया है। इससे सामाजिक सरोकार बढ़ा है। 
आज की समसमयिक आवश्यकता के रूप में मान्य पर्यावरण का रक्षण ज्वलंत विषय है। अतः मराठी साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा प्रदेश के मराठी भाषा-भाषी एवं गैर मराठी घरों तथा मराठी समाज द्वारा स्थापित संस्थाओं में तैयार किए जाने वाले गणेश उत्सव पंडाल में ‘पर्यावरण मित्र या समसामयिक दायित्व का बोध' विषय पर आकर्षक पंडाल की सजावट को प्रदेश भर से चयनित कर प्रोत्साहित किए जाने का निर्णय लिया गया है।
 
मराठी साहित्य अकादमी के निदेशक अश्विन खरे ने बताया कि गणेशोत्सव के दौरान घरों एवं सामाजिक पंडालों में आकर्षक झांकी बनाने की परंपरा है इस बार गणेश मूर्ति के आसपास बनने बाली झांकियों में जिनका विषय पर्यावरण मित्र एवं समसामयिक दायित्व का बोध होता हो, ऐसी संस्था अथवा व्यक्ति को प्रोत्साहन स्वरूप उत्कृष्ट झांकी का प्रशंसा पत्र अकादमी द्वारा प्रदान किया जाएगा, जिसका चयन एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाएगा। समिति का निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
 
खरे ने प्रदेशभर के व्यक्तियों एवं संस्थाओें से अनुरोध किया है कि निर्धारित विषय/मानदंडों में निर्मित झांकी की फोटो, व्यक्ति/संस्था का नाम, पता, कलाकार नाम, अकादमी के मेल utsavganesh.msa@gmail.com पर 18 सितंबर 2016 तक अवश्य भेजें। इसके उपरांत प्राप्त प्रविष्टि पर विचार नहीं किया जाएगा। 

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