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मध्यप्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हिंदी में होगी पढ़ाई, MBBS फर्स्ट ईयर की 3 किताबों का अमित शाह करेंगे विमोचन

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विकास सिंह

, शनिवार, 15 अक्टूबर 2022 (16:07 IST)
भोपाल। मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने जा रहा मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह रविवार को भोपाल में देश में पहली बार हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई का भोपाल में शुभारंभ करें। हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई के लिए एमबीबीएस के पहले साल में तीन किताबें तैयार की है। लाल परेड ग्राउंड में होने वाले कार्यक्रम में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह मेडिकल की पढ़ाई के प्रथम वर्ष की (एमबीबीएस) की तीन पुस्तकें एनाटॉमी, फिजियोलॉजी एवं बायो केमिस्ट्री का विमोचन करेंगे।

हिंदी में इन किताबों को तैयार करने में 97 एक्सपर्ट डॉक्टर्स की मदद ली गई है। इसके लिए देश के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई जा रही किताबों का एक सर्वे कराया गया। मेडिकल का कोर्स हिंदी तैयार करने के लिए 14 सदस्यीय एक कमेटी बनाई गई थी।

ट्रांसलेशन नहीं देवनागरी लिपि में शब्दों का रूपातंरण-हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई के लिए पहले साल में एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री की हिंदी में किताबें तैयार की गई है। मध्यप्रदेश सरकार के चिकित्सा हिंदी प्रकोष्ठ के सदस्य डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई में मेडिकल की भाषा के मूल शब्दों से छेड़छाड़ नहीं किया गया है, केवल उनको देवनागरी लिपि में लिखने का प्रयास किया गया है। उदाहरण के लिए स्पाइनल कॉर्ड को हिंदी में मेरूदंड होता है लेकिन इसके मेरूदंड नहीं लिखकर देवनागरी लिपी में स्पाइनल कॉर्ड लिखा गया है।  
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वह कहते हैं कि एक तरह से शब्दों का ट्रांसलेशन नहीं होकर ट्रांसफॉर्मेशन है। हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई का उद्देश्य पढ़ाई को कठिन नहीं ब्लकि आसान बनाना है। जिससे हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ सके और अपनी भाषा में जवाब दे सके।

मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में सामाजिक क्रांति-मध्यप्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने के लिए पाठ्यकम बनाने के लिए बनाए गए वॉर रूम मंदार पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने को एक सामाजिक क्रांति बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चे जन्म लेते ही अपनी मात्र भाषा सीखने लगते हैं और उनकी प्रतिभा का सहज प्रकटीकरण उनकी मातृभाषा में ही हो सकता है। इसलिए प्रधानमंत्री ने मातृभाषा में ही प्राथमिक और उच्च शिक्षा देने का संकल्प प्रकट किया है। उनके इस संकल्प की सिद्धि के लिए और वह बच्चे जो अंग्रेजी ना समझने के कारण, प्रतिभावान होते हुए भी पीछे रह जाते हैं, उनकी प्रतिभा कुंठित हो जाती है। सहज रूप से उनका स्वाभाविक विकास नहीं होता उन बच्चों को मेडिकल की भी शिक्षा हिंदी में देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार नें प्रयास प्रारंभ किए।
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मेडिकल की पढ़ाई के हिंदी में करने के लिए किताबें तैयार कर ली गई है। अब अंग्रेजी की बाध्यता और अनिवार्यता नहीं रही। यह मध्य प्रदेश के लिए गौरव का विषय है,हिंदी में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाला देश में पहला राज्य बना है।

सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हिंदी में पढ़ाई-मध्यप्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हिंदी में पढ़ाई होगी। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई  प्रारंभ करने का सपना अब साकार होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार मध्यप्रदेश में हिंदी में भी मेडिकल की पढ़ाई का शुभारंभ होने से पिछले 6 महीने में पुस्तकों के हिंदी रूपांतरण के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग का परिश्रम फलीभूत होने जा रहा है। वह कहते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्टडी के अनुसार चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी देश जर्मनी, जापान, चाइना भी अपनी मातृभाषणा में मेडिकल की पढ़ाई कराते है।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सांरग ने कहा कि हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने के बाद छात्र कड़ी मेहनत कर नीट की परीक्षा में तो उत्तीर्ण हो जाते हैं लेकिन एमबीबीएस में अंग्रेजी भाषा होने से उन्हें कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन अब हिंदी में पाठ्यक्रम होने से उनको आसानी होगी।

हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई का कितना फायदा?-मध्यप्रदेश में हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई से कितना फायदा होगा। इस पूरे अभियान ने जुड़े  डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि वह ऐसे बहुत से छात्रों के बारे में जानते है कि उन्होंने सिर्फ इस कारण एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा नहीं दी क्योंकि उन्हें इंग्लिश में पढ़ाई करनी होगी। इसके साथ मेडिकल की पढ़ाई के दौरान बहुत से स्टूडेंट्स हिंदी माध्यम का होने के कारण हताशा और कुंठा के शिकार होते है। डॉक्टर सत्यकांत सरकार के फैसले की तारीफ करते हुए हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू कर मध्यप्रदेश अन्य राज्यों के लिए एक रोल मॉडल बनेगा।

वहीं ग्वालियर के गजराजा मेडिकल कॉलेज में मेडिकल की पीजी की पढ़ाई कर रहे रूपेश वर्मा अपने अनुभवों को शेयर करते हुए कहते है कि उनका शुरु से मीडियम हिंदी था, ऐसे में एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान उनको क्लास पढाए गए अग्रेजी के शब्द समझ नहीं आते थे और क्लास के बाद घर आकर घंटों डिक्शनरी में बैठकर उनक शब्दों को समझने की कोशिश करते थे। ऐसे में अब मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में होने से हिंदी माध्यम के छात्रों को बहुत फायदा होगा।

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