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वन प्रबंधन में औपनिवेशिक सोच से मुक्त होना जरूरी : मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव

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विकास सिंह

, शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025 (18:51 IST)
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि वन, आजीविका से सम्बद्ध विषय है। जनजातीय क्षेत्र में अपार वन संपदा उपलब्ध है। इसके प्रबंधन में ध्यान रखना होगा कि विकास से जनजातीय वर्ग के हित प्रभावित न हो। भारतीय जीवन पद्धति वनों पर आधारित रही है। वनों के प्रबंधन में औपनिवेशिक सोच से मुक्त होने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विरासत से विकास और प्रकृति को जोड़ते हुए प्रगति और प्रकृति में सामंजस्य स्थापित कर आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया है। पेसा एक्ट इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जनजातीय क्षेत्रों में वन पुनर्स्थापना,जलवायु परिवर्तन और समुदाय आधारित आजीविका पर प्रशासन अकादमी में राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में वनों की स्थिति में सुधार और वन प्रबंधन में नवाचार के लिए के लिए वन विभाग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि वन्य जीवों के संरक्षण से इको सिस्टम बेहतर हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर चीतों का पुनर्स्थापना हो पाया है। उन्होंने किंग कोबरा सहित रैप्टाइल्स की प्रजातियों के संरक्षण के लिए भी व्यवस्था विकसित करने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि इससे सर्पदंश की घटनाओं में कमी आएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वन क्षेत्र में विद्यमान जनजातीय समुदाय के पूजा और आस्था स्थलों के संरक्षण के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी। आवश्यकता होने पर केंद्र शासन से भी सहयोग प्राप्त किया जाएगा।
 
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश वन की दृष्टि से बहुत संपन्न है। प्रदेश में यद्यपि कोई ग्लेशियर नहीं है, किन्तु प्राकृतिक रूप से वनों से निकलने वाली जल राशि से ही प्रदेश से निकलने वाली बड़ी नदियां आकार लेती हैं। मध्यप्रदेश से निकली सोन, केन, बेतवा, नर्मदा नदियां देश के कई राज्यों में जल से जीवन पहुंचा रही हैं। बिहार, गुजरात और उत्तर प्रदेश की प्रगति में प्रदेश के वनों से निकले इस जल का महत्वपूर्ण योगदान है। इस दृष्टि से मध्यप्रदेश के वन, पूरे देश के वन हैं। इन नदियों के संरक्षण और उनके निर्मल अविरल प्रवाह को बनाए रखने के लिए मध्यप्रदेश के वनों का संरक्षण और संवर्धन महत्वपूर्ण है।
 
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नर्मदा समग्र के माध्यम से नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए कार्य किया जा रहा है। अन्य नदियों पर भी कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना तथा पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक परियोजना के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी का आभार माना। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं से प्रदेश के बड़े क्षेत्र में पेयजल की उपलब्धता और सिंचाई सुविधा सुनिश्चित होगी।
 
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जल जीवों के संरक्षण पर कार्य करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश ने वन्य प्राणियों के संरक्षण में विशेष पहचान बनाई है। उन्होंने प्रवासी पक्षियों पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करने की आवश्यकता बताई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वन संरक्षण के साथ-साथ आजीविका को सरल और सुलभ बनाने के लिए आयोजित कार्यशाला की सफलता की कामना करते हुए कहा कि जनजातीय क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक प्रगति के साथ-साथ वन-पर्यावरण के संरक्षण में भी यह कार्यशाला उपयोगी सिद्ध होगी।
 
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि हमें प्रकृति के संरक्षण के लिए समुदाय आधारित योजनाएं तैयार करने की जरूरत है। केन्द्रीय मंत्री श्री यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी प्रकृति के संरक्षण के लिए एनवायरमेंट फ्रेंडली लाइफ पर ध्यान देने के लिए जनता को निरंतर प्रेरित कर रहे हैं। पृथ्वी पर निवासरत प्रत्येक व्यक्ति को ऊर्जा, अन्न और जल को सुरक्षित रखना होगा। पर्यावरण संरक्षण में सॉलिड वेस्ट और ई-वेस्ट मैनेजमेंट बड़ी चुनौती हैं। प्लास्टिक के उपयोग को कम करना और स्वस्थ जीवन शैली अपनाना आवश्यक है।
 
केन्द्रीय मंत्री यादव ने कहा कि विकास की इस धारा में वन और प्रकृति के संरक्षण को साथ लेकर चलना होगा। केंद्र सरकार ने कैपेसिटी बिल्डिंग के माध्यम से वनों में रहने वाले लोगों के जीवन में परिवर्तन के लिए कार्य किया है। वन और यहां रहने वाले लोगों के विकास और संरक्षण के लिए समग्र चिंतन की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य हो रहे हैं। एक पेड़ मां के नाम हमारा बड़ा अभियान बन चुका है। नवकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देते हुए सोलर एनर्जी अलायंस बनाया गया है। प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए भी अलायंस की स्थापना की गई है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय बायोफ्यूल अलायंस बनाया गया है। भारत आज दुनिया के विकासशील देशों में ग्लोबल साऊथ का नेतृत्व कर रहा है। हमें वोकल फॉर लोकल तो होना है, साथ में भारत को जनजातीय वर्ग और पर्यावरण के संरक्षण में वैश्विक नेतृत्वकर्ता भी बनना है।
 
केन्द्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके ने कहा कि जनजातीय समाज और वनों का संबंध अभिन्न है। मिश्रित वनों के शरण के कारण जनजातीय समुदाय वन क्षेत्र से पलायन के लिए विवश हो रहा है। इसी का परिणाम है कि वन प्रबंधन और जनजातीय समुदाय के आजीविका के संसाधनों पर विचार-विमर्श की आवश्यकता उत्पन्न हो रही है। भारत में अरण्यक संस्कृति में ही वेद पुराण आदि का लेखन संपन्न हुआ। भारतीय ज्ञान परंपरा और वन्य व जनजातीय समाज एक दूसरे पर आश्रित हैं। इनका समग्रता में महत्व स्वीकारते हुए भविष्य की नीतियां निर्धारित करना आवश्यक है।
 

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