भोपाल। आमतौर पर लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मुद्दें हावी होते हैं, लेकिन इस बार मध्यप्रदेश का सियासी माहौल एकदम अलग है। सूबे में 15 साल बाद वापस लौटी कांग्रेस इस बार लोकसभा चुनाव कमलनाथ सरकार के 70 दिन के कामकाज को मुद्दा बनाकर लड़ने की तैयारी में है। गुरुवार को मुख्यमंत्री कमलानाथ ने चुनाव आचार संहिता लगने से पहले सरकार के अब तक के कामकाज का ब्योरा रखा।
मुख्यमंत्री अपनी पूरी प्रेस कॉन्फेंस से ये बताते रहे कि किस तरह सरकार ने चुनाव से पहले लोगों से किए अपने हर वचन को पूरा किया। मुख्यमंत्री ने किसानों के कर्ज माफी, बिजली बिल आधा करने, युवाओं के रोजगार देने के लिए शुरू की गई युवा स्वाभिमान योजना के बारे में बताते हुए कहा सरकार का पूरा जोर बेहतर मध्यप्रदेश बनाने पर है।
मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब हमको प्रदेश सौंपा गया था तो खजाना खाली थी, इसलिए सरकार की पहली प्राथमिकता प्रदेश की अर्थव्यवस्था को ठीक करना था। इसके साथ ही सरकार ने अपना वचन पूरा करते हुए 50 लाख किसानों का कर्जा माफ किया। सीएम ने कहा कि सरकार ने 76 दिनों में अपने 83 वचनों को पूरा किया है, जिसमें ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देना भी शामिल है।
कमलनाथ ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बीजेपी भी अपने 15 साल की सरकार के दौरान किए गए कामकाज का ब्यौरा देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करते हुए 25 सीटें जीतेंगी। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद अब साफ है कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 15 साल बनाम सरकार के 76 दिन के कामकाज को भुनाने की कोशिश करेगी।
शिवराज ने किया पलटवार : कमलनाथ के बीजेपी 15 साल के कामकाज का ब्यौरा मांगने पर खुद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पलटवार किया है। शिवराज ने कहा कि जो पार्टी 70 साल में कुछ नहीं कर पाई, उसने 76 दिनों अपने 83 काम करने का ढिंढोरा पीट दिया। शिवराज ने कांग्रेस सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस ने समृद्ध मध्यप्रदेश बनाने की जगह प्रदेश को अराजकता, अशांति, अपहरण और हिंसा का गढ़ बना दिया।
उन्होंने कहा कि इन बीते 76 दिनों में 15 वर्षों बाद प्रदेश में फिर एक बार डकैतों की वापसी हुई है। इन बीते 76 दिनों में प्रदेश में एक नहीं, दो नहीं, बल्कि ढाई मुख्यमंत्री राज्य को चला रहे हैं। जनता को एक और भी नया अनुभव हुआ है कि राज्य में मुख्यमंत्री के ऊपर भी एक सुपर सीएम हैंl कृषि मंत्री मुख्यमंत्री से बिना पूछे योजनाओं को बंद करने लगे हैं।
मध्यप्रदेश ने बीते 76 दिनों में देखा कि प्रदेश के मंत्री गणतन्त्र दिवस के भाषण नहीं पढ़ पा रहे हैंl श्रमिकों के हित में बनी संबल योजना और राज्य बीमारी सहायता योजना बंद कर दी गई। शिवराज के इस पलटवार के बाद अब साफ है कि चुनाव में सरकार को घेरने में विपक्ष कोई मौका नहीं छोड़ेगा।