भोपाल। मध्य प्रदेश में भले ही सरकार का खजाना खाली हो, खर्च चलाने के लिए बार-बार कर्ज लिया जा रहा हो लेकिन कमलनाथ सरकार विधायकों पर खूब मेहरबान है। सात महीने पुरानी कर्ज के बोझ तले दबी कमलनाथ सरकार अब विधायकों की विधायक निधि बढ़ाने पर सहमत हो गई है।
मंगलवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक सुदेश राय ने विधायक निधि से कराए जा रहे कामों को लेकर सवाल किया और विधायक निधि बढ़ाए जाने की मांग की। इसका समर्थन उनके साथी विधायक रामेश्वर शर्मा और जालम सिंह पटेल ने किया।
इसके बाद एक सुर में सदन में मौजूद सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी विधायकों ने मेज थपथपाकर विधायक निधि बढ़ाए जाने की मांग स्वागत किया। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि लोगों को अपने स्थानीय विधायक से बहुत अपेक्षा रहती है और विधायकों पर विकास कार्यो को लेकर बहुत दबाव रहता है, इसलिए विधायक निधि बढ़ाई जानी चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष की इस मांग पर खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जवाब देते हुए कहा कि विधायक निधि का सुझाव अच्छा है और वह नेता प्रतिपक्ष के साथ बातचीत कर इस पर फैसला लेता। हालांकि इस दौरान मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछली भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि पिछली सरकार ने उनको जो तिजोरी सौंपी है, वह खाली है और इस बात को विपक्ष भी अच्छी तरह जानता है।
मुख्यमंत्री ने कहा हम विधायकों को निराश नहीं होने देंगे और खाली खजाने से जितना हो सकेगा उतना बेहतर करने की कोशिश करेंगे। मुख्यमंत्री के सदन में दिए इस आश्वासन के बाद अब साफ हैं कि जल्द ही विधायक निधि बढ़ाई जाएगी, वहीं सभी विधायकों ने एक सुर में विधायक निधि बढ़ाए जाने का स्वागत किया है। वर्तमान में एक विधायक को विकास कार्यो के लिए 2 करोड़ रुपए प्रतिसाल मिलता जिसके विधायक अपर्याप्त मानते हुए इसको पांच लाख बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।