भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा के मानसून सत्र को छोटा रखने को लेकर सियासत गर्म हो गई है। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधानसभा के मानसून सत्र में केवल 15 बैठकें होने पर आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र लिखा है।
अपने पत्र में नेता प्रतिपक्ष ने लिखा है कि जब प्रदेश में जनता से जुड़े कई मुद्दों पर उन्होंने पहले ही विधानसभा के लिए विस्तृत सत्र बुलाने की मांग की थी, तब सत्र के छोटा रखने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार केवल सरकारी कामकाज पूरा करके सदन में बहस से बचना चाह रही है।
पहले के सत्रों का दिया हवाला : नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में पहले के विधानसभा सत्रों की समयावधि का विवरण देते हुए समयावधि बढ़ाने की बात कही है। भार्गव ने लिखा है कि इससे पहले वर्ष 2014 में बजट सत्र की समयावधि 29 दिन, 2015 में 24 दिन, 2016 में 39 दिन, 2017 में 22 दिन रही है। वहीं इस बार का मानसून सत्र 8 जुलाई से 26 जुलाई तक आहूत किया गया है, जिसमें कुल पंद्रह बैठक ही होंगी।
ज्वलंत विषयों पर सदन में हो चर्चा : गोपाल भार्गव ने सत्र को छोटा रखने पर मुख्यमंत्री की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि लिखा कि बजट सत्र की अवधि कम होने से प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री मात्र 15 दिन में सभी शासकीय और अशासकीय कार्य निपटा लेना चाहते हैं, जो कि व्यावहारिक रूप से कतई संभव नहीं है। बजट पर विभागवार चर्चा, प्रश्नोत्तर, स्थगन, ध्यानाकर्षण और सूचनाओं के साथ लोक महत्व के अनेक विषयों पर चर्चा बहुत जरूरी है। इसके साथ ही प्रदेश में इस समय कई ऐसी ज्वलंत समस्याएं हैं, जिस पर चर्चा जरूरी है।