मध्य प्रदेश में नसबंदी कराने को लेकर एनएचएम के एक आदेश पर सियासी बवाल मच गया है। पुरुषों की नसबंदी कराने के लिए प्रेरित नहीं करने पर हेल्थ वर्करों को जबरन वीआरएस देने और सैलरी रोके जाने के आदेश पर भाजपा ने सीधे कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदेश की कॉपी को ट्वीट करते हुए लिखा कि मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल है। क्या ये कांग्रेस का इमरजेंसी पार्ट -2 है ? इसके आगे शिवराज ने लिखा कि एपीएचडब्ल्यू के प्रयास में कमी हो तो सरकार कार्रवाई करे लेकिन लक्ष्य पूरे नहीं होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय, तानाशाही है।
बैकफुट पर सरकार – वहीं विवादित आदेश पर हंगामा मचने के बाद सरकार पूरी तरह बैकफुट पर नजर आ रही है। स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने पूरे मामले की समीक्षा करने की बात कही। मीडिया के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उनकी जानकारी में ऐसा कोई आदेश नहीं है लेकिन वह पूरे मामले की समीक्षा कर आगे की कार्रवाई करेंगे।
क्या हैं पूरा मामला – मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने 11 फरवरी को पुरुष नसबंदी को लेकर एक आदेश निकाला गया है जिसमें प्रत्येक जिले में एमपीडब्लयू(हेल्थ वर्कर) द्धारा न्यूनतम 5 से 10 पुरुष नसबंदी कराने का लक्ष्य दिया गया है। इसके साथ ही आदेश में लिखा है कि 2019-20 में ऐसे सभी एमपीडब्लयू(हेल्थ वर्कर) का चिन्हांकन किया जाए जिन्होंने एक भी पात्र पुरुष नसबंदी हितग्राही का मोबिलाईजेशन नहीं किया हो,ऐसे सभी एमपीडब्लयू(हेल्थ वर्कर) को NO Work No Pay के आधार पर इन सभी का वेतन पर तब तक रोक लगा दी जाए जब तक ये न्यूनतम एक पुरुष को नसबंदी के लिए मोबाइलाईजेशन न कर सके।
इसके साथ ही आदेश में यह कहा गया है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो ऐसे सभी एमपीडब्लयू(हेल्थ वर्कर) अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के प्रस्ताव को जिला कलेक्टर के माध्यम राज्य स्तर पर मिशन संचालक एनएचएम को भेजा जाए। आदेश में पुरुष नसबंदी को गंभीरता से लेने और परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारिता को बढ़ावा देने को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए है।