Kuno National Park : कूनो में एक और चीते शौर्य की मौत, अब तक 10 की जा चुकी है जान

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
मंगलवार, 16 जनवरी 2024 (19:20 IST)
मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के श्योपुर जिला स्थित कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से भारत आए एक और चीता 'शौर्य' की मौत हो गई है। नेशनल पार्क सूत्रों के अनुसार कूनो नेशनल पार्क में अब तक 10 चीतों की मौत हो चुकी है, इनमें से 7 चीते हैं और 3 शावक हैं। यह मरने वाला 10वां चीता है। इससे पहले चीतों की मॉनिटरिंग कर रही टीम ने सुबह 11 बजे जब उसे देखा तो वह अचेत हालत में था। केएनपी में जीवित चीतों की कुल संख्या अब 17 (6 नर, सात मादा और 4   शावक) है।

भारत में उनकी आबादी को पुनर्जीवित करने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत चीतों को दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से केएनपी में स्थानांतरित किया गया था।
 
इसके तहत, नामीबिया से आठ चीतों - पांच मादा और तीन नर - को 17 सितंबर 2022 को केएनपी के बाड़ों में छोड़ा गया था। फरवरी 2023 में, अन्य 12 चीतों को दक्षिण अफ्रीका से पार्क में लाया गया था।
 
मीडिया खबरों के मुताबिक अभी तक चीता 'शौर्य' की मौत का कारण पता नहीं चल सका है। आज लगभग 3:17 बजे नामीबियाई चीता 'शौर्य' की मौत हो गई। मृत्यु का कारण पोस्टमार्टम के बाद पता चलेगा। अब तक तीन वयस्क मादा और चार वयस्क नर चीतों की मौत हुई है जिनमें साशा (27 मार्च, 2023), उदय (23 अप्रैल, 2023), दक्ष (9 मई, 2023), तेजस (11 जुलाई, 2023), सूरज (14 जुलाई, 2023), धात्री (2 अगस्त, 2023) और शौर्य (16 जनवरी, 2023) शामिल हैं।

ज्वाला ने दिया था इसके अलावा नामीबियाई से लाए गए चीते 'ज्वाला' से जन्मे चार शावकों में से एक की 23 मई 2023 को और दो अन्य की 25 मई 2023 को मृत्यु हो गई थी।
 
तीन जनवरी को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर नामीबियाई चीते आशा के तीन शावकों के जन्म की खबर साझा की थी।
 
मार्च 2023 में, सियाया, जिसका नाम बाद में ज्वाला रखा गया, ने चार शावकों को जन्म दिया था, लेकिन उनमें से केवल एक मादा शावक जीवित बची है। चीते को 1952 में देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
 
पिछले साल मई में, चीतों की मौत पर चिंता व्यक्त करते हुए, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से एक विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा था जिसमें कारणों और उठाए गए उपचारात्मक उपायों का जिक्र हो।
 
जवाब में, पर्यावरण और वन मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने शीर्ष अदालत को बताया था कि केएनपी में वयस्क चीतों और शावकों की मौत परेशान करने वाली है, लेकिन "अनावश्यक रूप से चिंताजनक" नहीं है और एहतियात के तौर पर बचे हुए चीतों को पकड़कर उनकी चिकित्सकीय जांच की जा रही है।
 
3 शावकों का हुआ जन्म : 3 जनवरी को चीता आशा ने 3 शावकों को कूनो जंगल में जन्म दिया है। कूनो जंगल में इससे पहले 24 मार्च 2023 को मादा चीता ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया था। इनमें से 3 शावकों की मौत हो गई थी।

मौतों पर सुप्रीम कोर्ट में हो चुकी है सुनवाई : केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना 'प्रोजेक्ट चीता' में चीतों की लगातार मौतों को लेकर अगस्त में सुनवाई हो चुकी है। इसके बाद इस परियोजना को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के वन्य जीव विशेषज्ञों ने भी इसे लेकर पत्र लिखा था।
 
क्या था सरकार का जवाब? : अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा था कि चीतों की मौत जहर देने या शिकार के कारण नहीं हुई थी। उनकी मौत बीमारी के कारण हुई है। भाटी कोर्ट में वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से पेश हुए थे।

अफ्रीका से लाकर बसाए गए चीतों की त्वचा पर ठंड से बचने के लिए मोटी फर निकल रही है। ऐसा अफ्रीकी से आने कारण हुआ है। दक्षिण अफ्रीका के 4 वन्य जीव विशेषज्ञों ने इस मामले में पत्र लिखकर कहा था कि कुछ चीतों की मौत को बेहतर निगरानी और पशु चिकित्सा से रोका जा सकता था।

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