पराली जलाने में पंजाब से आगे निकला MP, NGT ने भेजा नोटिस, क्‍यों पराली जलाने में नंबर वन बनता जा रहा प्रदेश?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
मंगलवार, 24 दिसंबर 2024 (12:58 IST)
मध्‍यप्रदेश में पराली जलाने की 11,382 घटनाओं का संज्ञान
एमपी के श्‍योपुर और नर्मदापुरम तोड रहे पराली जलाने का रिकॉर्ड
पराली जलाने के लिए क्‍यों मजबूर हैं प्रदेश के किसान?

देश के कई राज्‍यों में प्रदूषण खासतौर से वायु प्रदूषण एक नई चुनौती बनता जा रहा है। दिल्‍ली प्रदूषण से पहले ही बेहाल है। ऐसे में अब मध्‍यप्रदेश में भी कुछ ऐसी ही स्‍थिति नजर आने लगी है। इस पॉल्‍युशन के पीछे पराली जलाया जाना बताया जा रहा है। पराली यानी किसानों द्वारा खेतों में फसलों की खरपतवार जलाना। पराली जलाने के बढते ग्राफ से होने वाले प्रदूषण पर अब एनजीटी ने भी संज्ञान लिया है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण यानी NGT ने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में पराली जलाने के बढ़ते मामलों पर गंभीर चिंता जताई है और मध्‍यप्रदेश के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में एनजीटी ने मध्‍यप्रदेश में पराली की घटनाओं पर जवाब मांगा है।

पराली जलाने की 11,382 घटनाएं : मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में पराली जलाने की 11,382 घटनाओं का जिक्र किया गया था, जिसके आधार पर एनजीटी ने ये नोटिस भेजा है। इसमें एनजीटी ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से जवाब मांगा है। बता दें कि मध्‍यप्रदेश में पराली जलाए जाने की  यह संख्या पंजाब में पराली जलाने के 9,655 मामलों से भी ज्‍यादा है।

पराली से कौन से इलाके सबसे ज्‍यादा प्रभावित : बता दें कि पराली जलाए जाने की गतिविधि से राज्य में सबसे ज्यादा प्रभावित जिला श्योपुर है। यहां पराली जलाने के 2,424 मामले सामने आए। वहीं, नर्मदापुरम से पराली जलाने के 1,462 मामले सामने आए हैं। पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि को धान की खेती में बढ़ोतरी से जोड़ कर देखा जा रहा है, जो पिछले दशक में दोगुनी हो चुकी है।

सीएक्यूएम से मांगा जवाब : एनजीटी ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम), केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) के अधिकारियों को मामले में प्रतिवादी बनाया है। अधिकरण ने इन सभी पक्षों को नोटिस जारी कर 10 फरवरी को भोपाल में मामले की सुनवाई के लिए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने इस समस्या को गंभीर मानते हुए कहा कि यह मुद्दा पर्यावरण और किसानों की आजीविका दोनों के लिए हानिकारक है।

पराली जलाने को क्‍यों मजबूर हैं किसान : एनजीटी ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया है कि पराली जलाने के विकल्पों की अनुपलब्धता के कारण कई किसान इसे जलाने को मजबूर हैं। हालांकि, बैतूल और बालाघाट जैसे जिलों में कुछ किसानों ने टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल तरीकों को अपनाया है।
Edited by Navin Rangiyal

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Bangalore में सॉफ्टवेयर इंजीनियर Digital Arrest, फोन पर दी धमकी, 11 करोड़ से ज्‍यादा वसूले

GST On Used Cars : पुरानी कार बेचने पर 18% जीएसटी, वित्त मंत्री से नाराजगी, क्या मीडिल क्लास के लिए है बड़ा झटका, समझिए पूरा गणित

delhi elections 2025: BJP का केजरीवाल के खिलाफ आरोपपत्र, AAP को सत्ता से हटाने का लिया संकल्प

यमुना में प्रदूषण को लेकर Delhi LG ने AAP प्रमुख केजरीवाल को लिखा पत्र

इंदौर में MPPSC के बाहर प्रदर्शन करने वालों पर FIR, कल ही CM यादव से मिले, मांगों पर मिला था आश्‍वासन

सभी देखें

नवीनतम

40 से 400 पर पहुंचा लहसुन, राहुल गांधी सब्जी मंडी से शेयर किया वीडियो

दाऊद के भाई इकबाल कास्कर पर ED का शिकंजा, कब्जे में लिया फ्लैट

LIVE: चिकड़ापल्ली थाने पहुंचे अल्लू अर्जुन, भगदड़ में महिला की मौत के मामले में पूछताछ

शेयर बाजार में भारी उतार चढ़ाव, रुपया भी अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर

अवैध बांग्लादेशी नागरिकों पर दिल्ली में बड़ा एक्शन, क्या बोलीं आतिशी?

अगला लेख