बड़ी खबर! सीएम शिवराज का उपवास समाप्त

Webdunia
रविवार, 11 जून 2017 (18:30 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में किसानों के हित में कई घोषणाएं करते हुए आज यहां दूसरे दिन अपना अनिश्चितकालीन उपवास तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में समर्थन मूल्य से नीचे कृषि उत्पाद बेचना अब अपराध होगा। 
 
उमुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैंने रात भर वर्ष 2002 में आयी स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन किया। इसकी सिफारिशों के  अनुसार कई निर्णय लिए हैं तथा कुछ मामलों में इससे बढ़कर भी किसानों के हित में निर्णय लिए हैं। मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य के नीचे कृषि उत्पाद का व्यापार करना अब अपराध घोषित किया जाएगा।’
 
इसके अलावा उन्होंने किसानों और उपभोक्ताओं के बीच बिचौलियों को कम से कम करने के उद्देश्य से प्रदेश की सभी नगर पालिकाओं और नगर निगम में ‘किसान बाजार’ स्थापित करने की घोषणा की तथा प्रदेश में किसानों से दूध खरीदने के लिए अमूल खरीद प्रणाली लागू करने की बात भी कही।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के किसानों को अपनी जमीन के खसरे के प्रति हासिल करने के लिए अब कहीं नहीं जाना होगा,  सरकार प्रतिवर्ष यह प्रति निशुल्क उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था करेगी। चौहान ने प्रदेश में कृषि उत्पादों की कम कीमतों से किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए प्रदेश में 1000 करोड़ रुपए के ‘मूल्य स्थरीकरण कोष’ के तुरंत गठन किए जाने की भी घोषणा की।
 
उन्होंने कहा कि प्रदेश में फसल का वैज्ञानिक तरीके से लागत मूल्य निकालने के लिए इस वर्ष ‘कृषि उत्पाद लागत एवं विपणन आयोग’ का भी गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कृषि भूमि के बेहतर उपयोग करने के लिए ‘स्टेट लैंड यूज एडवाइजरी सर्विस’ बनाई जाएगी।
 
चौहान ने कहा कि प्रदेश में किसानों की जमीन उसकी सहमति के बिना अधिगृहित नहीं की जा सकेगी। इसके साथ ही गांव में रहने वाले हर किसान को रहने के लिए जमीन का पट्टा दिया जाएगा तथा आदिवासी वर्ग के लोगों को उनके कब्जे वाली भूमि का पट्टा दिया जाएगा। अब तक करीब दो लाख आदिवासियों को जमीन का पट्टा दिया जा चुका है। 
 
उन्होंने कहा, ‘पिछले 12 साल से प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं और हमेशा किसानों के भले के लिए पूरी कोशिश की है। भाजपा सरकार आने से पहले प्रदेश में 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा थी अब प्रदेश के 40 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है।’ 
 
उन्होंने कहा, ‘देश में केवल मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जहां शून्य प्रतिशत ब्याज पर 10 प्रतिशत अनुदान के साथ किसान को बीज और खाद के लिए ऋण दिया जाता है। इस योजना के कारण प्रदेश में 80 प्रतिशत ऋण अदायगी में नियमित हैं। शेष 20 प्रतिशत अनियमित किसानों को भी नियमित करने हेतु उनके लिए ‘ऋण समाधान योजना’ लागू की जाएगी।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब किसान चाहे तो रबी और खरीफ दोनों फसलों के लिए यह ऋण एक साथ ले सकता है।
 
चौहान ने कहा कि प्रदेश में कृषि विकास दर पिछले चार साल से लगातार 20 प्रतिशत से अधिक है। चार वर्षों में कृषि उत्पादन दुगना हुआ है जो कि विश्व में नंबर एक है। इसके लिए वह प्रदेश के किसानों को प्रणाम करते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में भी मध्यप्रदेश अव्वल स्थान पर है।
 
उन्होंने कहा ‘मेरा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संकल्प है कि हम कोई खेत बिना सिंचाई के नहीं छोड़ंेगे।’’ उपवास तोड़ने से पहले चौहान ने उपस्थित लोगों से पूछा, ‘प्रदेश में शांति बहाली हो गई है। कल और आज कोई भी हिंसा की रिपोर्ट मध्यप्रदेश से नहीं आई है। इसलिए क्या आपकी सहमति है कि मैं अपना उपवास तोड़ दूं।’ इस पर लोगों ने हाथ उठाकर उन्हें उपवास तोड़ने के लिए जनसमर्थन दिया। प्रदेश में शांति बहाली और किसानों से सीधे चर्चा करते के लिए वह यहां भेल के दशहरा मैदान पर उपवास पर कल ही बैठे थे। 
 
उपवास समाप्त होने के बाद भी मुख्यमंत्री प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए किसानों से मिलते रहेंगे। चौहान कल और आज यहां अनेक किसान संगठनों से लगातार मिल रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ने चौहान को नारियल का पानी पिला कर उनका उपवास तुड़वाया।
 
इससे पहले केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं थावरचंद गहलोत, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय एवं पार्टी के  राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा सहित वहां उपस्थित लोगों ने मुख्यमंत्री से उनका उपवास समाप्त करने का अनुरोध किया। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री चौहान के इस उपवास को कल ‘नौटंकी’ बताया था।
 
चौहान ने कहा, ‘मंदसौर जिले में 6 जून को किसान आंदोलन के दौरान 6 किसानों के मारे जाने के लिए जो भी दोषी पाया जाएगा, उसे कड़ी सजा दी जाएगी।’ मंदसौर इस किसान आंदोलन का मुख्य केन्द्र रहा। वहां पर छह जून को पुलिस फायरिंग में 6 लोगों की मौत हो गई थी और छह अन्य घायल हो गए थे। 
 
इसके बाद किसान आंदोलन और उग्र हो गया था और इस दौरान प्रदेश में विशेष तौर पर पश्चिम मध्यप्रदेश में हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़ एवं लूटपाट की कई घटनाएं हुई। इससे आहत होकर शांति बहाली और किसानों से रुबरु होने के लिए मुख्यमंत्री यहां भेल दशहरा मैदान में उपवास पर बैठे थे। (भाषा)
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