मध्यप्रदेश में दुकानों और कारखानों में नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी महिलाएं

भोपाल ब्यूरो
शनिवार, 5 जुलाई 2025 (11:13 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में महिलाएं दुकानों और कारखानों में नाइट शिफ्ट में काम कर सकेगी। राज्य सरकार ने महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने के लिए कुछ शर्तों  के साथ मंजूरी दे दी है। सरकार ने पुख्ता सुरक्षा उपायों और विशेष नियम एवं शर्तों को लागू करने की अनिवार्यता के साथ मध्यप्रदेश सरकार ने महिलाओं को दुकानों, वाणिज्यिक संस्थानों और कारखानों में नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति दी है। सरकार ने मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 1958 एवं कारखाना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत महिला श्रमिकों को कुछ शर्तों के साथ कार्य करने की अनुमति दी है।

महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने के लिए शर्ते
-दुकानों और कारखानों में नाइट शिफ्ट यानि रात 9 बजे से सुबह 7 बजे तक कार्य करने के लिये नियोजकों को महिला श्रमिकों की लिखित सहमति लेना अनिवार्य होगा।
-कम से कम 5 महिला श्रमिकों को समूह में ड्यूटी करना होगा।
-कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण, शौचालय, वॉशरूम, पेयजल और विश्राम कक्ष जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा।
-इन सुविधाओं तक आगागमन का मार्ग अच्छी तरह से प्रकाशित तथा सीसीटीवी की निगरानी में होगा।
जहां 10 या अधिक महिलाएं कार्यरत हों, वहां महिला सुरक्षाकर्मियों (गार्डस) की व्यवस्था करनी होगी एवं विश्राम कक्ष भी उपलब्ध कराया जायेगा।
सभी प्रतिष्ठानों को लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 के प्रावधानों का पूर्ण पालन करना होगा।

कारखानों के लिए विशेष शर्तें
कारखानों में रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक महिला श्रमिकों को कार्य करने की अनुमति सुरक्षा उपायों के साथ प्रदान की गई है। नाइट शिफ्ट में कार्य करने के लिये महिला श्रमिकों की लिखित सहमति अनिवार्य होगी और उन्हें पांच से अधिक समूह में नियोजित किया जाएगा। महिला कर्मचारियों के लिए घर से लाने और ले जाने की परिवहन सुविधा देना नियोक्ता की जिम्मेदारी होगी। कार्यस्थल पर प्रकाश व्यवस्था, सीसीटीवी निगरानी, शौचालय, भोजन व विश्राम कक्ष उपलब्ध होंगे। कार्य स्थल के प्रवेश एवं निकास पर महिला सुरक्षाकर्मी (गार्डस) उपलब्ध होगी। ठहरने की व्यवस्था महिला वार्डन अथवा सुपरवाइजर के नियंत्रण में होगी। रात्रि पाली में सुपरवाइजरी स्टाफ का एक-तिहाई हिस्सा महिलाएं होंगी। पाली परिवर्तन के दौरान कम से कम 12 घंटे का अंतराल जरूरी होगा। कारखानों में लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 के प्रावधानों का पूर्ण पालन करना अनिवार्य होगा।
 

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