Mahabharat : अर्जुन ने बचाई थी दुर्योधन की जान, बदले में दुर्योधन ने जो किया उससे कुरुक्षेत्र के युद्ध में सभी पांडवों की जान बच गई

WD Feature Desk
शुक्रवार, 6 सितम्बर 2024 (12:56 IST)
mahabharat yudh AI
गंधर्व कथा : एक बार की बात है कि पांडवजन द्वैतवन में ठहरे हुए थे। दुर्योधन उस क्षेत्र में घोषयात्रा निकालना चाहता था। धृतराष्‍ट्र ने मना कर दिया तब  शकुनि ने कहा राजन हम लोग केवल गोओं की गणना करना चाहते हैं। पाण्डवों से मिलने का हमारा कोई इरादा नहीं है। जहां पांडव रहते होंगे हम वहां तो जानकर भी नहीं जाएंगे। इस तरह शकुनि ने धृतराष्ट्र को मना लिया और दुर्योधन और शकुनि को फिर मंत्री एवं सेना सहित वहां जाने की आज्ञा दे दी। ALSO READ: Mahabharat : महाभारत के युद्ध के बाद एक रात में सभी योद्धा जिंदा क्यों हो गए थे?
 
दुर्योधन गाय, बछड़ों आदि की गणना करते करते वह कुछ लोगों के साथ द्वैतवन के एक सरोवर के निकट पहुंच गया। वहां उस सरोवर के तट पर ही युधिष्ठिर आदि पांडव द्रौपदी के साथ कुटिया बनाकर रहते थे। वे उस समय राजर्षि यज्ञ कर रहे थे।
 
तभी दुर्योधन ने अपने सेवकों को आज्ञा दी की यहां शीघ्र ही एक क्रीड़ाभवन तैयार करो। जब उनके लोग इस भवन का निर्माण करने लगे तो वहां के रक्षक मुखिया गंधर्वों ने उन्हें रोक लिया। क्योंकि उनके पहुंचने से पहले ही गंधर्वराज चित्रसेन उस जल सरोवर में क्रीड़ा करने के लिए पहुंचकर जलक्रीड़ा कर रहे थे। इस प्रकार सरोवर को गंधर्वों से घिरा देखकर दुर्योधन के सेवक पुन: दुर्योधन के पास लौट आए। दुर्योधन ने तब सैनिकों को आज्ञा दी की उन गंधर्वों को वहां से निकाल दो। लेकिन उन सैनिकों को उल्टे पांव लौटना पड़ा।
 
इससे दुर्योधन भड़क उठा और उसने सभी सेनापतियों के साथ गंधर्वों से युद्ध करने पहुंच गए। कुछ गंधर्व ने भागकर चित्रसेन को बताया कि किस तरह दुर्योधन अपनी सेना के साथ बलात् वन में घुसा है। तब चित्रसेन को क्रोध आया और उसने अपननी माया से भयंकर युद्ध किया। दुर्योधन, शकुनि और कर्ण को गंधर्व सेना ने घायल कर दिया। कर्ण के रथ के टूकड़े टूकड़े कर डाले। सभी भागने लगे लेकिन चित्रसेन की सेना ने दुर्योधन और दुशासन को मारने की दृष्‍टि से घेरकर पकड़ लिया। 
 
कौरवों की सेना के लोगों ने भागकर पाण्डवों की शरण ली और उन्होंने दुर्योधन आदि के गंधर्वों की सेना के घेर लिए जाने का समाचार युधिष्ठिर को सुनाया। युद्धिष्ठिरक के समझाने पर भी गंधर्व नहीं माने तो अंत में अर्जुन ने दिव्यास्त्रा का संधान किया। अर्जुन के इस अस्त्र से चित्रसेन घबरा गया। तब उसने अर्जुन के समक्ष पहुंचकर कहा, मैं तुम्हारा सखा चित्रसेन हूं। अर्जुन ने यह सुनकर दिव्यास्त्र को लौटा लिया। फिर दुर्योधन आदि कौरव को गंधर्व लोग युधिष्‍ठिर के पास लेकर आए और उन्होंने उन्हें युधिष्‍ठिर के सुपर्द कर दिया। युधिष्ठिर सहित सभी पांडवों ने दुर्योधन, दुशासन और सभी राजमहिषियों का स्वागत किया। दुर्योधन ने भरे मन से युधिष्ठिर को प्रमाण किया और अर्जुन से कहा कि इस अहसान के बदले कुछ मांग लो। अर्जुन ने कहा कि अभी नहीं जब वक्त आएगा तब मांग लूंगा। दुर्योधन ने वचन दिया कि तुम जो मांगोगे मिलेगा। ALSO READ: Mahabharat : महाभारत में शिखंडी इसलिए भीष्म पितामह को मारना चाहता था?
 
कुरुक्षेत्र का युद्ध और भीष्म के पांच तीर: 
एक रात शिविर में दुर्योधन ने भीष्म पितामह से कहा कि मुझे तो आप पर संदेह होता पितामाह कि आप हमारी ओर हैं या कि पांडवों की ओर? मुझे लगता है कि पांडवों के प्रति आपके प्रेम के कारण आप पांडवों पर आत्मघाती प्रहार नहीं कर रहे हैं। आप जैसा शूरवीर योद्धा जो हजारों योद्धाओं को अपने एक ही बाण से मार सकता है ऐसे में उसके प्रहार से पांडव कैसे बच सकते हैं।
 
दुर्योधन के कटु वचन सुनकर भीष्म पितामह दुखी और क्रोधित हो जाते हैं। क्रोधित होकर भीष्म पितामह कहते हैं तो ठीक है मैं कल एक दिन में ही पांचों पांडवों को मार दूंगा। ऐसा बोलकर वे अपनी मंत्र शक्ति से 5 सोने के तीर तैयार करते हैं और दुर्योधन को कहते हैं कि ये पांच तीर अत्यंत ही शक्तिशाली तीर हैं जिनको कोई रोक नहीं सकता है। कल इन्हीं तीरों से पांचों पांडवों का वध कर दूंगा। यह देखकर दुर्योधन बहुत प्रसन्न हुआ और अब उसे विश्वास हो गया कि अब तो पांडव मारे जाएंगे। हालांकि दुर्योधन के मन में पितामह के लिए अभी भी संदेह था। वह सोच रहा था कि हो सकता है कि पांडवों के प्रेम के प्रति पितामह यह तीर का उपयोग ही नहीं करे या एक रात में ही यह तीर कहीं गायब हो जाए। इस तरह की शंका के चलते दुर्योधन को एक तरकीब दिमाग में आई। उसने पितामह से निवेदन किया कि आप आप इन पांचो तीरों को मुझे दे दीजिए। मुझे आप पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है। मैं यह तीर आपको केवल तभी लौटाऊंगा, जब आप कल युद्ध के लिए तैयार होंगे। तब तक के लिए यह तीर मेरे पास सुरक्षित रहेंगे। पितामह ने दुर्योधन की बात मान ली और उसे तीर ले जाने की अनुमति  दे दी। दुर्योधन उन पांचों तीरों को लेकर अपने शिविर में वापस लौट आया और अगले दिन का इंतजार करने लगा।
अर्जुन ने मांगा अपना वरदान:  
उधर, पांडवों के शिविर में यह खबर पहुंच गई की भीष्म पितामह चमत्कारी तीर से पांडवों का वध करने वाले हैं। श्रीकृष्ण अर्जुन को सारी बात बता देते हैं तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि तुम अभी जाओ और दुर्योधन से वे पांचों तीर मांग लो। अर्जुन कहता है कि आप कैसा मजाक कर रहे हैं। भला दुर्योधन मुझे वह तीर क्यों देगा? तब श्रीकृष्ण कहते हैं कि याद करो तुम जब तुमने दुर्योधन को यक्ष और गंधर्वो के हमले से बचाया था। उस वक्त दुर्योधन ने तुमसे कहा था कि जिस तरह तुमने मेरी जान बचाई है मैं तुम्हें वचन देता हूं कि आवश्यकता के समय तुम मुझसे कुछ भी मांगोगे तो वह मैं तुम्हें दे दूंगा।ALSO READ: महाभारत में सबसे शक्तिशाली महिला कौन थीं?
 
यह सुनकर अर्जुन रोमांचित हो जाता है और वह तुरंत ही दुर्योधन के पास पहुंच जाता है और वह विनम्रता पूर्वक दुर्योधन से कहता है कि आज मुझे तुम्हारी आवश्यकता है क्योंकि तुमने वचन दिया था कि तुम कभी भी तुमसे कुछ मांग लूं तो क्या तुम अब अपना वचन निभाने के लिए तैयार हो? दुर्योधन कहता है कि हां मुझे याद आ गया... मांगो तुम क्या मांगना चाहते हो? 
 
अर्जुन कहता है कि मुझे यदि तुम छत्रिय धर्म और वचन के पक्के हो तो मुझे वो 5 स्वर्णिम तीर दे तो जो तुम्हारे पास है। यह सुनकर दुर्योधन चौंक जाता है। फिर वह बड़े भारी मन से उन तीरों को अर्जुन को देकर अपना वचन निभाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Astrological predictions 2025: इन ग्रहों और ग्रहण के संयोग से देश और दुनिया में हो रहा है उत्पात, आने वाले समय में होगा महायुद्ध

Sanja festival 2025: संजा लोकपर्व क्या है, जानिए पौराणिक महत्व और खासियत

Sarvapitri amavasya 2025: वर्ष 2025 में श्राद्ध पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या कब है?

Durga Ashtami 2025: शारदीय नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी कब है, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कन्या पूजन का महत्व

Mangal Gochar 2025 : मंगल का तुला राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा धन लाभ

सभी देखें

धर्म संसार

shraddha Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में सप्तमी तिथि का श्राद्ध कैसे करें, जानिए कुतुप काल मुहूर्त और सावधानियां

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (13 सितंबर, 2025)

Mangal Gochar 2025: तुला राशि में मंगल का प्रवेश, इन 4 राशियों के लिए चुनौतीपूर्ण समय

13 September Birthday: आपको 13 सितंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 13 सितंबर, 2025: शनिवार का पंचांग और शुभ समय

अगला लेख