महाभारत में इन 15 योद्धाओं को माना जाता था मायावी और रहस्यमयी

अनिरुद्ध जोशी
शुक्रवार, 3 अगस्त 2018 (16:10 IST)
महाभारत में एक से एक बढ़कर योद्धा थे जो शक्तिशाली होने के साथ ही विचित्र किस्म की सिद्धियों और चमत्कारों से भी संपन्न थे। श्रीकृष्ण तो स्वयं भगवान विष्णु थे, लेकिन उनके समक्ष और सामने जो योद्धा लड़ रहे थे वे भी कम नहीं थे। कुरुक्षेत्र के युद्ध में इन योद्धाओं के मायावी कारनामों ने इतिहास रच दिया था।
 
 
1) सहदेव भविष्य में होने वाली हर घटना को पहले से ही जान लेते थे। वे जानते थे कि महाभारत होने वाली है और कौन किसको मारेगा और कौन विजयी होगा। लेकिन भगवान कृष्ण ने उन्हें शाप दिया था कि अगर वह इस बारे में लोगों को बताएगा तो उसकी मृत्य हो जाएगी।
 
2) बर्बरीक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे। बर्बरीक के लिए तीन बाण ही काफी थे जिसके बल पर वे कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे। युद्ध के मैदान में भीम पौत्र बर्बरीक दोनों खेमों के मध्य बिन्दु एक पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हो गए और यह घोषणा कर डाली कि मैं उस पक्ष की तरफ से लडूंगा जो हार रहा होगा। लेकिन श्रीकृष्ण ने युद्ध के पहले उन्हें भी ठीकाने लगा दिया उसका शीश मांगकर। आज उन्हें खाटू श्याम के नाम से जानते हैं।
 
3) महाभारत युद्ध में संजय वेदादि विद्याओं का अध्ययन करके वे धृतराष्ट्र की राजसभा के सम्मानित मंत्री बन गए थे। आज के दृष्टिकोण से वे टेलीपैथिक विद्या में पारंगत थे। कहते हैं कि गीता का उपदेश दो लोगों ने सुना, एक अर्जुन और दूसरा संजय। सैंकड़ों किलोमीटर दूर बैठे संजय ही धृतराष्ट्र को युद्ध का वर्णन प्रतिदिन सुनाते थे।
 
4) गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा हर विद्या में पारंगत थे। वे चाहते तो पहले दिन ही युद्ध का अंत कर सकते थे, लेकिन कृष्ण ने ऐसा कभी होने नहीं दिया। कृष्‍ण यह जानते थे कि पिता-पुत्र की जोड़ी मिलकर ही युद्ध को समाप्त कर सकती है। दोनों के पास अति संहारक क्षमता वाले अस्त्र और शस्त्र थे लेनि श्रीकृष्ण को अपनी नीति से द्रोणाचार्य का वध करवा दिया। 
 
5) कर्ण से यदि कवच-कुंडल नहीं हथियाए होते, यदि कर्ण इन्द्र द्वारा दिए गए अपने अमोघ अस्त्र का प्रयोग घटोत्कच पर न करते हुए अर्जुन पर करता तो आज भारत का इतिहास और धर्म कुछ और होता। कर्ण के कवच कुंडल होना उसके रहस्यमी व्यक्तित्व का परिचायक था।
 
6) कुंती-वायु के पुत्र थे भीम अर्थात पवनपुत्र भीम। भीम में हजार हाथियों का बल था। युद्ध में भीम से ज्यादा शक्तिशाली उनका पुत्र घटोत्कच ही था। घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक था। भीम ने ही दुर्योध की जंघा उखाड़कर फेंक दी थी और इससे पहले उसी ने ही जरासंध के वध किया था। 
 
7) माना जाता है कि कद-काठी के हिसाब से भीम पुत्र घटोत्कच इतना विशालकाय था कि वह लात मारकर रथ को कई फुट पीछे फेंक देता था और सैनिकों को तो वह अपने पैरों तले कुचल देता था। भीम की असुर पत्नी हिडिम्बा से घटोत्कच का जन्म हुआ था। हिडिम्बा एक मायावी राक्षसनी थीं।
 
8) अभिमन्यु ने अपनी मां सुभद्रा की कोख में रहकर ही संपूर्ण युद्ध विद्या सीख ली थी। माता के गर्भ में रहकर ही उसने चक्रव्यूह को भेदना सीखा था। लेकिन वह चक्रव्यूह को तोड़ना इसलिए सीख नहीं पाया क्योंकि जब इसकी शिक्षा दी जा रही थी तब उसकी मां सो गई थीं।
 
9) शांतनु-गंगा के पुत्र भीष्म का नाम देवव्रत था। उनको इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। वे स्वर्ग के आठ वसुओं में से एक थे जिन्होंने एक श्राप के चलते मनुष्य योनी में में जन्म लिया था।
 
10) दुर्योधन का शरीर वज्र के समान कठोर था, जिसे किसी धनुष या अन्य किसी हथियार से छेदा नहीं जा सकता था। लेकिन उसकी जांघ श्रीकृष्ण के छल के कारण प्राकृतिक ही रह गई थी। इस कारण भीम ने उसकी जांघ पर वार करके उसके शरीर के दो फाड़ कर दिए थे।
 
11) जरासंघ का शरीर दो फाड़ करने के बाद पुन: जुड़ जाता था। तब श्रीकृष्ण ने भीम को इशारों में समझाया की दो फाड़ करने के बाद दोनों फाड़ को एक दूसरे की विपरित दिशा में फेंक दिया जाए।
 
12) बलराम सबसे शक्तिशाली व्यक्ति थे। यदि वे महाभारत के युद्ध में शामिल होते तो सेना की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। दरअसल बलराम का संबंध दोनों ही पक्ष से घनिष्ठ था। बलवानों में श्रेष्ठ होने के कारण उन्हें बलभद्र भी कहा जाता है। कहते हैं कि जब दुर्योधन ने श्रीकृष्ण पुत्र साम्ब को बंदी बना लिया था तो बलराम ने अपने हल से हस्तिनापुर की धरती को हिलाकर चेताया था कि यदि समझौता नहीं किया तो इस नगरी को उखाड़कर फेंक दूंगा। दुर्योधन हर के इस भूकंप से डर गया था।
 
13) यह सुनने में अजीब है कि युद्ध के लिए अर्जुन के बेटे इरावन की बलि दी गई थी। बलि देने से पहले उसकी अंतमि इच्छा थी कि वह मरने से पहले शादी कर ले। लेकिन इस शादी के लिए कोई भी लड़की तैयार नहीं थी क्योंकि शादी के तुरंत बाद उसके पति को मरना था। इस स्थिति में भगवान कृष्ण ने मोहिनी का रूप लिया और इरावन से न केवल शादी की बल्कि एक पत्नी की तरह उसे विदा करते हुए रोए भी। यही इरावन आज देशभर के किन्नरों का देवता है।
 
14) एकलव्य का नाम तो सभी ने सुना होगा। एकलव्य अपनी विस्तारवादी सोच के चलते जरासंध से जा मिला था। जरासंध की सेना की तरफ से उसने मथुरा पर आक्रमण करके यादव सेना का लगभग सफाया कर दिया था। इसका उल्लेख विष्णु पुराण और हरिवंश पुराण में मिलता है। कहते हैं कि महाभारत के युद्ध के पहले श्रीकृष्ण ने एकलव्य को भी युद्ध करके निपटा दिया था अन्यथा वह महाभारत में कोहराम मचा देता। एकलव्य के वीरगति को प्राप्त होने के बाद उसका पुत्र केतुमान सिंहासन पर बैठता है और वह कौरवों की सेना की ओर से पांडवों के खिलाफ लड़ता है। महाभारत युद्ध में वह भीम के हाथ से मारा जाता है।
 
15) शकुनी भी मायावी था। उसके पासे उसकी ही बात मानते थे। युद्ध में शकुनी ने श्रीकृष्‍ण और अर्जुन को मोहित करते हुए उनके प्रति भयंकर तरीके से माया का प्रयोग किया था। शकुनी की माया से अर्जुन की ओर हजारों तरह के हिंसक पशु दौड़ने लगे थे। आसमान से लोगों के गोले और पत्थर गिरने लगे थे। कई तरह के अस्त्र शस्त्र सभी दिशाओं से आने लगे थे। अर्जुन इस माया जाल से कुछ समय के लिए तो घबरा गए थे लेकिन उन्होंने दिव्यास्त्र का प्रयोग कर इसको काट दिया था। 
 
इसके अलावा भूरिश्रवा, सात्यकी, युयुत्सु, नरकासुर का पुत्र भगदत्त आदि कई अन्य योद्धा भी थे। इस तरह हमने देखा कि महाभारत में कई तरह के वि‍चित्र और मायावी योद्धा थे। उपर हमें कुछ खास योद्धाओं का ही वर्णन किया।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन

अगला लेख