Festival Posters

महात्मा गांधी पुण्यतिथि : 8 में से 3 बरी और नाथूराम गोड़से सहित सभी को मिली ये सजा

Webdunia
बुधवार, 29 जनवरी 2020 (16:26 IST)
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। महात्मा गांधी जब 30 जनवरी 1948 की शाम को 5 बजकर 17 मिनट पर दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में संध्याकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोड़से ने पहले उनके पैर छुए और फिर बापू के साथ खड़ी महिला को हटाया और अपनी सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल से एक बाद के एक तीन गोली मारकर उनकी हत्‍या कर दी।
 
 
न्यायालय में नाथूराम गोडसे द्वारा दिए गए बयान के अनुसार जिस पिस्तौल से गांधीजी को निशाना बनाया गया वह उसने दिल्ली में एक शरणार्थी से खरीदी थी। नाथूराम के साथ ही कुल 8 लोगों को इस मामले में अभियुक्त बनाया गया। ये नाम इस प्रकार है-
 
अंबाला जेल :
1. वीर सावरकर, सबूत नहीं मिलने की वजह से अदालत ने जुर्म से मुक्त किया। 28 मई 1883 को जन्मे विनायक दामोदर सावरकर का देहांत 26 फरवरी 1966 को हुआ। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा का गठन इन्होंने ही किया था।
 
2. शंकर किस्तैया, आजीवन कारावास मिलने के बाद उच्च न्यायालय ने अपील करने पर छोड़ने का निर्णय दिया। हिन्दू महासभा के कार्यकर्ता।
 
3. दिगम्बर बड़गे, सरकारी गवाह बनने के कारण बरी कर दिया। हिन्दू महासभा के कार्यकर्ता। इन्होंने सभी अभियुक्तों के नाम बता दिए थे जिसके चलते मामला शीघ्रता से सुलझ गया।
 
4. गोपाल गौड़से आजीवन कारावास हुआ। 1919 में जन्मे नाथूराम गोड़से के भाई और हिन्दू महासभा के एक कार्यकर्ता थे।
 
5. मदनलाल पाहवा, आजीवन कारावास हुआ। हिन्दूमहासभा के एक कार्यकर्ता थे। जिन्होंने गांधी हत्या की तिथि से 10 दिन पूर्व 20 जनवरी 1948 को उनकी प्रार्थना सभा में हथगोला फेंका था।
 
6. विष्णु रामकृष्ण करकरे, आजीवन कारावास हुआ। हिन्दू महासभा के एक कार्यकर्ता जिनका जन्म 1910 को हुआ था और 1974 को इनकी मृत्यु हो गई।
 
7. नारायण आप्टे, 15 नवंबर 1949 को फांसी दे दी गयी। 1911 में जन्मे नारायण आप्टे हिन्दूमहासभा के एक कार्यकर्ता थे।
 
8. नाथूराम विनायक गोडसे, 15 नवंबर 1949 को फांसी दे दी गयी। नाथूराम गोडसे का जन्म 19 मई 1910 में हुआ था।
 
एक अभियुक्त टैक्सी ड्राइवर सुरजीत सिंह का नाम भी इसमें शामिल है जो कि सभी को टैक्सी से सभा स्थल पर छोड़ता है। सुरजीत सिंह बाद में सरकारी गवाह बन गए थे। 20 जनवरी को जब मदनलाल पाहवा ने बम फेंका था तब वह बम असरकारक नहीं था। पाहवा को गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन तब महात्मा गांधी की सुरक्षा बढ़ाई जाना चाहिए थी। हालांकि ऐसा हो नहीं सका और 30 जनवरी को घटना को अंजाम दिया गया।
 
सजा प्राप्त सभी अभियुक्त यह मानते थे कि भारत विभाजन के समय महात्मा गांधी ने भारत और पाकिस्तान के मुसलमानों के पक्ष का समर्थन किया था। जबकि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर अपनी आंखें मूंद ली थी।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

मुंबई किडनैपिंग कांड का सच, 17 बच्चों को बंधक बनाने और रोहित आर्य के एनकाउंटर की सनसनीखेज कहानी

CBSE Borad Exam Datesheet 2026 : सीबीएसई ने जारी की 10वीं-12 वीं के बोर्ड परीक्षा डेटशीट, जानिए क्या है तारीख

Jio यूजर्स को बड़ा तोहफा, 35100 की कीमत का Google AI Pro का एक्सेस मिलेगा फ्री

भारत के आगे फिर झुके Donald Trump, चाबहार पोर्ट पर दी 6 महीने की छूट

राहुल गांधी पर बरसे तेजप्रताप, कहा उन्हें छठ के बारे कुछ नहीं पता

सभी देखें

नवीनतम

बिहार में ताड़ी पर तकरार: क्‍या शराबबंदी कानून नीतीश कुमार के 'सुशासन' और NDA के लिए बनेगा चुनावी फांस?

जम्मू कश्मीर में 6 सालों में केवल 631 बाहरी लोगों ने खरीदी जमीन

सतना से भाजपा सांसद गणेश सिंह ने क्रेन ऑपरेटर को जड़ा तमाचा

अमेजन से खरीदा 1.86 लाख का मोबाइल, पार्सल खोलते ही उड़े होश

कौन हैं अमोल वाघमारे, जिनकी गोली से मारा गया रोहित आर्य, बची 17 मासूमों की जान

अगला लेख