मकर संक्रांति : सूर्य आराधना का विशेष पर्व

तमसो मा ज्योतिर्गमय

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
- हे सूर्य! हमें भी अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो...

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मकर संक्रांति का पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है। यह सूर्य आराधना का पर्व है जिसे दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से मनाया जाता है। इसी दिन से सौर नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है जबकि सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में गति करने लगता है। इसे सौरमास भी कहा जाता है। ज्योतिषानुसार इस दिन से सूर्य मकर राशि में गमन करने लगता है इसीलिए इसे मकर संक्रांति कहते हैं।

भारत के अलग-अलग प्रांतों में इस त्योहार को मनाए जाने के ढंग भी अलग हैं, लेकिन इन सभी के पीछे मूल ध्येय मानव की एकता और समानता है। मकर सक्रांति को पोंगल, लोहड़ी, पतंग उत्सव, तिल सक्रांति आदि नामों से भी जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का, तिल-गुड़ खाने का तथा सूर्य को अर्घ्य देने का अपना एक महत्व है। इस दिन से दिन धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है। यह दिन दान और आराधना के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। मकर संक्रांति से सभी तरह के रोग और शोक मिटने लगते हैं। माहौल की शुष्कता कम होने लगती है।

* क्या है सौरमास?
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- सौरमास का आरम्भ सूर्य की संक्रांति से होता है। सूर्य की एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति का समय सौरमास कहलाता है। यह मास प्राय: तीस, इकतीस दिन का होता है। कभी-कभी अट्ठ ा ईस और उन्तीस दिन का भी होता है। मूलत: सौरमास (सौर-वर्ष) 365 दिन का होता है।

12 राशियों को बारह सौरमास माना जाता है। जिस दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। इस राशि प्रवेश से ही सौरमास का नया महीना ‍शुरू माना गया है। सौर-वर्ष के दो भाग हैं- उत्तरायण छह माह का और दक्षिणायन भी छह मास का। जब सूर्य उत्तरायण होता है तब हिंदू धर्म अनुसार यह तीर्थ यात्रा व उत्सवों का समय होता है। पुराणों अनुसार अश्विन, कार्तिक मास में तीर्थ का महत्व बताया गया है। उत्तरायण के समय पौष-माघ मास चल रहा होता है।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है जबकि सूर्य कुंभ से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तब सूर्य दक्षिणायन होता है। दक्षिणायन व्रतों का समय होता है जबकि चंद्रमास अनुसार आषाढ़ या श्रावण मास चल रहा होता है। व्रत से रोग और शोक मिटते हैं।

सौरमास के नाम : मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्‍चिक, धनु, कुंभ, मकर, मीन ।

हिंदू 'पंचांग' की अवधारणा

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