पोंगल : सूर्य की आराधना का विशेष पर्व

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मकर संक्रांति के समय ही, भारत के दक्षि‍ण क्षेत्र में पोंगल नामक पर्व मनाया जाता है। खास तौर से तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में पोंगल पर्व उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व 3 दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें सूर्य की आराधना, पशुधन का पूजन और गीत-संगीत का विशेष महत्व होता है। पशुधन पूजन के अनुसार यह पर्व दीपावली के बाद मनाए जाने वाले गोवर्धन पूजन की तरह ही होता है।
 
वैसे इस पर्व का संबंध फसलों से भी है इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में इसे उत्साह के साथ मनाया जाता है। जब यह पर्व मनाया जाता है, तब तक धान की फसल खलिहान में आ चुकी होती है। चूंकि सूर्य को पोंगल त्योहार का प्रमुख देवता माना जाता है इसलिए फसल, प्रकाश और जीवन प्रदान करने के लिए इस दिन सूर्यदेवता की पूजा कर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है। इस दिन चावल, दूध, घी, शकर से भोजन तैयार कर सूर्यदेव को भोग लगाया जाता है। 
 
गोवर्धन पूजा की तरह ही पोंगल में भी घर के पशुओं को स्नान कराया जाता है। बैलों और गौमाता के सींग रंगे जाते हैं और उन्हें स्वादिष्ट भोजन पकाकर खिलाया जाता है। इसके अलावा सांडों-बैलों के साथ भागदौड़ कर उन्हें नियंत्रित करने का जश्न भी इस समय होता है। सालों पहले तक पोंगल पर कन्याओं द्वारा इस जश्न में बहादुरी दिखाने वाले युवकों से विवाह करने का पर्व भी हुआ करता था।
 

तमिलनाडु में पोंगल पर्व को नववर्ष के त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि वहां पर इस दिन नए वर्ष की शुरुआत हो जाती है।

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