मकर संक्रांति : महत्व, मुहूर्त और दान

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मकर संक्रांति इस वर्ष 14 जनवरी की राशि 1 बजकर 30 मिनट पर अर्की है अत: इसका पुण्यकाल संक्रांति काल से ता. 15 को दिन 1 बजकर 24 मिनट तक विशेष व सूर्यास्त तक सामान्य पुण्यकाल रहेगा। इसमें तिल का प्रयोग 6 प्रकार से किया जाता है अर्थात तिल का उबटन, तिल मिले जल से स्नान, तिल से हवन, तिल खाना, तिल मिले जल को पीना व तिल का दान करना चाहिए।


 
संक्रांति की स्‍थिति : इस वर्ष संक्रांति के समय कीलक नामक संवत्सर रहेगा। माघ कृष्ण नवमी उपरांत दशमी तिथि, दिन बुधवार/ गुरुवार, स्वाति नक्षत्र, धृति उपरांत शूल योग तात्कालिक वणिज करण, तुला का चंद्र है। इस संक्रांति के बाद भगवान सूर्य उत्तरायन व शिशिर ऋतु का आरंभ होगा। इसमें तिल का दान (तिल-गुड़ का लड्डू), वस्त्रदान, कम्बल आदि गरम कपड़ों का दान एवं स्वर्णादि का दान यथाशक्ति करना चाहिए।
 
संक्रांति का वाहनादि- वाहन- महिष, उपवाहन- ऊंट, वस्त्र- श्याम कंचुकी (चोली), लेपन- महावर, पुष्पधारण- अर्क, भूषण- माणिक्य, पात्र- खप्पर, भक्षण- दही, आयुध- तोमर, जाति- मृग, अवस्था- प्रगल्भ, स्थिति- निविष्ठ, मुहूर्त- 15, दिशा- पश्चिम, दृष्टि- वायव्य, गमन- पश्चिम, आगमन- पूर्व।
 
संक्रांति का राशिफल- संक्रांति इस वर्ष तुला राशि पर हो रही है अत: मेष- सम्मान, वृष- भय, मिथुन- ज्ञान वृद्धि, कर्क- कलह, सिंह- लाभ, कन्या- संतोष, तुला- धनलाभ, वृश्चिक- हानि, धनु- लाभ, मकर- इष्ट सिद्धि, कुंभ- धर्मलाभ, मीन- कष्ट।
 
मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है, जो राष्ट्रीय एकता, राष्ट्रीय और धार्मिक भावना को सुदृढ़ करता है। इस दिन अथवा एक दिन आगे-पीछे भारत में मकर संक्रांति का पर्व पूर्वी-उत्तर भारत में खिचड़ी पर्व, पंजाब में लोहड़ी, तमिलनाडु में पोंगल, केरल में अयप्पा दर्शन, पूर्वी भारत में बिहू आदि पर्वों की श्रृंखला है। गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ के मंदिर में 3 दिवसीय खिचड़ी का मेला लगता है। महाराष्ट्र में तिल-गुड़ का हलवा बनाया जाता है। आंध्रप्रदेश में पंचरत्न की चटनी बनाकर खाई जाती है। उत्तरी भारत में जगह-जगह खिचड़ी के मेले भरते हैं। पवित्र नदियों एवं सरोवरों के तट पर स्नादान एवं मेलों की परंपरा है। 

 
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