मंगलवार को क्यों करते हैं नीम के पेड़ की पूजा, क्या होगा इससे

Webdunia
मंगलवार, 17 जनवरी 2023 (19:08 IST)
Mangal dev Nim Puja: मंगल ग्रह की दिशा दक्षिण मानी गई है। ज्योतिष में नीम के पेड़ को मंगल माना गया है। लाला किताब के अनुसार नीम का पेड़ मंगल की स्थिति तय करता है कि मंगल शुभ असर देगा या नहीं। यदि दक्षिण का द्वार है या मंगल खराब है तो दक्षिण दिशा में नीम का पेड़ लगाना चाहिए। इसी के साथ नीम के पेड़ को मंगल देव मानकर उसकी पूजा करना चाहिए। 
 
1. नीम का पेड़ साक्षात मंगल देव है। इसकी पूजा करने से मंगल दोष दूर होते हैं। महाराष्ट्र के अमलनेर में स्थित मंगल देव ग्रह मंदिर में भी मंगल दोष की पूजा और अभिषेक होता है। यहां पर शर्तियां मांगलिक दोष दूर होता है।
 
2. मंगलवार को नीम के पेड़ में शाम को जल चढ़ाएं और चमेली के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा कम से कम 11 मंगलवार करें। इससे मंगलदेव और हनुमानजी की कृपा प्राप्त होगी। घर के पास नीम का पेड़ लगाने और नित्य इसमें जल अर्पित करने से मंगल ग्रह के सभी दोष दूर हो जाते हैं।
3. इस पेड़ की सेवा करने से आपके जीवन में कभी भी अमंगल नहीं होगा और मंगलदोष दूर हो जाएगा।
 
4. नीम की पूजा करने और इसकी दातून करने से शनिदोष भी समाप्त हो जाता है।
 
5. ज्योतिष में कहीं कहीं नीम का संबंध शनि और कहीं कहीं केतु से भी जोड़ा गया है। इसलिए दोनों ही ग्रहों की शांति हेतु उचित दिशा में नीम का पेड़ लगाया जा सकता है। 
 
6. नीम की लकड़ी से हवन करने से शनि की शांति होती है। इसके पत्तों को जल में डालकर स्नान करने से केतु संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। नीम की लड़की की माला धारण करने से शनि की पीड़ा समाप्त हो जाती है। 
 
7. यदि आपका जन्म उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हुआ है या आपकी राशि मकर या कुंभ राशि है तो नीम का पेड़ लगाना बहुत ही शुभफलदायी होगा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व

अगला लेख