बच्चों की एक आम समस्या :चोकिंग

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चोकिंग यानी साँस लेने में तकलीफ होना, अकसर ऐसा होता है कि छोटे बच्चे अपने मुँह में कुछ न कुछ डाल लेते हैं, जो उनके गले में अटक जाता है। अकसर इससे उनकी मौत हो जाती है, क्योंकि तुरन्त हर जगह डॉक्टर उपलब्ध नहीं होता है।

जैसे ही आपको पता चले कि बच्चे के गले में कुछ अटक गया है। उसके मुँह में हाथ डालकर उँगलियों की सहायता से उसे निकालने की कोशिश कीजिए। अगर तब भी फँसी हुई चीज नहीं निकलती है, तो उँगलियों और अंगूठे की सहायता से उसकी गर्दन को दबाकर उसे निकालने की कोशिश करिए।

कभी-कभी छोटे बच्चों को साँस लेने में तकलीफ होती है और वे बेहोश हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चे को अपने पैरों पर लिटा लीजिए। उसका सिर आपके घुटनों की तरफ हो। फिर दो उँगलियों की सहायता से उसकी पसलियों पर धीेरे-धीरे दबाव डालिए या उसकी पीठ ठोंकिए।

यदि कृत्रिम साँस देने की आवश्यकता पड़े तो बच्चे की नाक और मुँह दोनों को अपने मुँह से ढँककर सांस दीजिए। ऐसा करते समय एक हाथ से बच्चे का सिर पकड़े रहिए और दूसरे हाथ से उसकी गर्दन पर हल्का दबाव डालिए। तीन-तीन सेकेंड के अंतराल में कृत्रिम साँस दीजिए। बच्चे को प्राथमिक उपचार देने के उपरांत डॉक्टर के पास जरूर ले जाएँ।

बच्चों की सुरक्षा
आज की व्यस्ततम जिंदगी में जहाँ अधिकांशतः माँ-बाप दोनों किसी व्यवसाय या नौकरी में कार्यरत हैं, ऐसी स्थिति में बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखना एक महत्वपूर्ण समस्या हो जाती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए कुछ सुरक्षा संबंधी सुझाव दिए जा रहे हैं।
1. शिशुओं की सुरक्षा- बहुत से व्यक्ति अपने घर को बच्चों के लिए सुरक्षित ( चाइल्ड प्रूफिंग) बनाना बनाना चाहते हैं या उसी घर को अच्छा समझते हैं, जो पूर्ण रूप से बच्चों के लिए सुरक्षित हो।

बच्चों को घर की महँगी, नाजुक व खतरा पैदा करने वाली वस्तुओं से दूर रखना जरूरी है। अतः इन चीजों को बच्चों की पहुँच से दूर रखा जाए या उन स्थानों से हटा लिया जाए।

फिर भी कुछ ऐसी वस्तुएँ होती हैं, जिनके साथ बच्चों को रहना सीखना ही होगा, जैसे सीढ़ियाँ, नाजुक वस्तुएँ, किताबें, पेपर आदि। अतः उन्हें उनकी जरूरतों या पसंद के अनुसार विभिन्न प्रकार के खिलौने या वस्तुएँ देनी होंगी, जिनसे वे कुछ सीख सकें और खेल सकें।

जब बच्चा रेंगता है या घुटनों के सहारे चलता है, अपने आसपास की वस्तुओं को देखता है, समझता है, यदि हम उसे बार-बार टोकेंगे कि यह मत करो या इसे मत हाथ लगाओ तो उसकी छानबीन की क्षमता कम होने लगेगी व उसका विकास भी अवरुद्ध होगा।

अतः आवश्यक है कि बच्चों के लिए आवश्यक वस्तुओं व चाइल्ड फ्रूफिंग (बच्चों की सुरक्षा) के बीच एक संतुलन स्थापित किया जाए।किसी भी घर को पूर्ण रूप से चाइल्ड फ्रूफिंग बनाना अत्यन्त कठिन कार्य है।

घर की सुरक्षा- बच्चों से निम्न वस्तुओं को दूर रखिए।
1. दवाइयाँ
2. सिक्के, पिन, सुई अन्य छोटी-छोटी वस्तुएँ।
3. कैंची, चाकू, लाइटर, माचिस इत्यादि।
4. स्प्रे की बोतल।
5. प्लास्टिक बैग्स।
6. बहुत अधिक भारी वस्तुएँ, जिनसे चोट पहुँच सकती हो।
7. बहुत अधिक महँगी व कठोर वस्तुएँ जो कि इधर-उधर हो सकती हों।
8. इलेक्ट्रिक वायर व कार्ड्‌स, प्लग्स को अच्छे से चेक करिए कहीं वो खराब तो नहीं है व उसकी फिटिंग्स बराबर है या नहीं।
9. सारे इलेक्ट्रिक पॉइंट पर साकेट्स लगी हैं या नहीं, यह चेक करिए नहीं तो उनके सामने भारी फर्नीचर रखिए।
10. बच्चों को पानी के पास, किचन व ऊँचाई वाले स्थानों पर अकेले न छोड़िए।
11. थोड़े-थोड़े समय में अपने आसपास के स्थानों को चेक करिए कि कहीं किसी स्थान पर बच्चे के लिए खतरा तो नहीं है।
12. भारी शेल्फ को ऊपर नहीं रखिए, हो सकता है कि उसे बच्चा खींच ले और वह उस पर गिर जाए।
13. बच्चों के मुलायम तकिए, क्विलट्स या खिलौनों के बीच अकेला न छोड़िए हो सकता है। नींद में खींचकर अपने चेहरे के ऊपर उन्हें ढँक ले, जिसके कारण घुटन पैदा हो।
14. वाकर पर बेबी को अकेला न छोड़िए।
15. मच्छरों से सुरक्षा के लिए मच्छरदानी या टिकिया का उपयोगकीजिए।
16. कार में बेबी को कभी भी आगे की सीट पर न बैठाइए, क्योंकि यह दुर्घटना के समय खतरनाक जगह साबित हो सकती है।

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