बच्चों को ‍‍सिखाएँ ये सबक

गायत्री शर्मा
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अपने बच्चों से प्यार कौन माँ-बाप नहीं करता है ... बेशक बच्चे तो सभी के लाड़ले होते हैं। बच्चों को लाड़-प्यार करने का यह अर्थ नहीं है कि आप बच्चों को स्वयं पर इतना निर्भर बना दें कि बच्चा हर छोटी-बड़ी चीज के लिए आपकी ही राह तकता रहे तथा आलसी व कामचोर बन जाए।

बच्चों को प्यार करें पर साथ ही उन्हें संस्कारों व नैतिकता का पाठ भी पढ़ाना जरूरी होता है। यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आत्मनिर्भर बने तो निम्न बातों पर खासतौर से ध्यान दें -

* बच्चों का हर काम स्वयं करने की बजाय उन्हें खुद भी कुछ काम करने के लिए प्रेरित करें।

* हमेशा बच्चों का उत्साहवर्धन करें तथा उसे कुछ बेहतर व सकारात्मक कार्य करने के लिए प्रेरित करें।

* बच्चों में बदले की भावना को पनपने न दें। उसे हमेशा मैत्री, प्यार, सद्भाव व देशप्रेम का पाठ पढ़ाएँ।

* बच्चों को अपना होमवर्क स्वयं ही करने दें। उन्हें शिक्षक की डाँट-फटकार से बचाने के लिए उनका होमवर्क स्वयं ना करें।

* बच्चों की हर जिद पूरी करने के बजाय बचपन से ही उसे बचत के लिए प्रेरित करें।

* परिवार के संस्कार बच्चों को माँ-बाप से ही मिलते हैं। आप अपने बच्चों को संस्कारवान बनाएँ तथा उन्हें बड़े-बुजुर्गों का आदर करने की शिक्षा दें।

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