बुखार न होने के बाद भी किस वजह से रहता है बच्‍चों का माथा गर्म? क्या ये है खतरे की बात

जानिए बच्‍चों का माथा गर्म होने के कुछ कारण

WD Feature Desk
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Why Baby Head is Hot in hindi: ये सच है कि शिशुओं के स्वास्थ्य और उनकी परवरिश का ख़ास खयाल रखने की ज़रुरत होती है। पैरेंट्स अपने बच्‍चों की हेल्‍थ को लेकर बहुत सेंसटिव रहते हैं। छोटे बच्‍चों का इम्‍यून सिस्‍टम तुलनात्मक रूप से कमजोर होता है। इसलिए उन्‍हें जल्‍दी ठंड और सर्दी-जुकाम जैसी चीजें पकड़ लेती हैं।
कई बार बुखार ना होने अपर भी बच्‍चे का माथा गर्म रहता है। थर्मामीटर से शरीर का तापमान चेक करने पर टेम्परेचर नॉर्मल रहता है। लेकिन आखिर फिर माथा गर्म होने का क्‍या कारण हो सकता है?  अगर आपके भी ऐसे ही सवाल हैं तो आज इस आलेख में हम आपको इनका जवाब देने के साथ ही बच्‍चों का माथा गर्म होने के कुछ सामान्‍य कारण बता रहे हैं।ALSO READ: 3 महीने का हो गया है बच्चा तो इन एक्टिविटी से मिलेगी शिशु के विकास में मदद

बाहरी तापमान हो सकता है कारण
अगर बाहर का तापमान गर्म, ह्यूमिडिटी और चिपचिपा जैसा हो तो इस वजह से भी बच्‍चों का माथा गर्म हो सकता है। माहौल में गर्मी की वजह से तो वयस्कों के शरीर का तापमान भी बदल जाता है। ठीक इसी तरह वातावरण का असर बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य पर भी पड़ता है।

अगर आप अपने बच्‍चे के साथ एसी रूम में बैठने के बाद धूप मे जा रहे हैं या बच्‍चे को ज्‍यादा धूप के संपर्क में रख रहे हैं तो ये भी बच्‍चों का माथा गर्म होने का एक कारण हो सकता है। साथ ही इससे बच्‍चों के शरीर पर रैशेज भी पड़ सकते हैं।

बच्‍चों को ज्‍यादा मोटे कपड़े पहनाना
ये सच है कि बच्‍चों का शरीर बहुत नाजुक होता है और उन्‍हें सर्दी-गर्मी के लिए वो बहुत सेंसिटिव होते हैं इसलिए कई पेरेंट्स बच्‍चों को ज्‍यादा कपड़े पहनाते हैं। ये भी बच्‍चों का माथ गर्म होने का एक कारण हो सकता है। ऐसी स्थिति में बच्‍चे को बुखार तो नहीं होता लेकिन उनका माथा गर्म हो जाता है। गर्मियों में बच्‍चे को केवल सूती कपड़े पहनाने चाहिए और सर्दियों में भी जरूरत से ज्‍यादा कपड़े नहीं पहनाने चाहिए। 

दांत आने पर हो सकता है माथा गर्म
दांत आना बच्‍चों का माथा गर्म होने का सबसे सामान्‍य कारण है। जब बच्‍चों के दांत आने शुरू होते हैं या जब भी कोई नया दांत आता है तो बच्‍चे का माथा गर्म हो जाता है। इस दौरान कभी-कभी बच्‍चे को बुखार भी आ सकता है। 6 महीने से बड़े बच्‍चों को टीथिंग टॉयज, फ्रोजन कैरट और खीरा देने से राहत मिल सकती है।

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