इन टिप्स की मदद से समझिये बड़े होते बच्चों के साथ कैसा होना चाहिए माता-पिता का व्यवहार

जानिए टीन एज में कैसे रखें बच्चों का ख़याल

WD Feature Desk
indian teenage kids with parents

टीएनएज किसी बच्चे के जीवन का वह महत्वपूर्ण समय होता है जब बच्चे के जीवन में पढ़ाई और दोस्ती की अपनी जगह होती है। साथ ही बच्चा कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तन के दौर से भी गुज़रता है। इस समय माता-पिता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है।

आजकल के जमाने में पेरेंट्स टीएनएज बच्चों के मां-बाप नहीं बल्कि दोस्त बनकर रहना चाहते हैं। ज्यादातर टीएनएज बच्चों के पेरेंट्स को लगता है कि वह कूल व्यवहार करेंगे, तो इससे उनके बच्चों पर पॉजिटिव असर पड़ेगा। लेकिन हर बार पेरेंट्स का कूल व्यवहार बच्चों पर अलग तरह से असर डाल सकता है। अगर आपके बच्चे में भी टीएनएज की उम्र में हैं तो आपको पता होना चाहिए कि किस तरह आप उनके साथ एक बेलेंस रख सकते हैं।ALSO READ: बच्चे के मूड में अचानक बदलाव हो सकता है बाइपोलर डिसऑर्डर का लक्षण

टीएनएज में कैसा हो पेरेंट्स का बर्ताव:
जैसे ही बच्‍चे टीएनएज में आते हैं, मां-बाप उन्‍हें बहुत ज्‍यादा छूट दे देते हैं ये पेरेंट्स बच्‍चों के सामने खुद को एक दोस्त के रूप में प्रस्तुत कर देते हैं और उनके लिए कोई नियम वगैरह नहीं बनाते हैं जो कि बिल्‍कुल गलत है। पेरेंट्स को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि दोस्त हम उम्र के लोग होते हैं और बच्चों को सही-गलत का एहसास बड़ी उम्र के लोगों को करवाना होता है। मां-बाप को जरूरत से ज्‍यादा कूल पेरेंट बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

 
नियमों का याद रखना है जरूरी
टीनएज बच्‍चों का दिमाग वयस्‍कों की तरह नहीं होता है और इस उम्र के बच्‍चों के दिमाग को विकास करने में अभी और समय लगता है। इस उम्र में बच्‍चे जो भी करते हैं, वो बिना सोचे-समझे करते हैं। आप उसे सुझाव दें और सीमा में रहकर अपने फैसले लेना सिखाएं। उसे किसी भी फैसले या एक्‍शन का परिणाम भी बताएं ताकि वो अपने फैसले सोच-समझकर ले।

पेरेंट्स को टीनएजर्स के साथ मां कुछ नियम बनाने चाहिए। अगर आप बच्‍चे के लिए कुछ नियम बना रहे हैं तो  उसे यह भी बताएं कि आपने वो नियम क्‍यों बनाया है। बच्‍चे को किसी भी नियम के पीछे का लॉजिक भी बताएं।

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