बच्चों के देर से बोलने के कारण

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बच्चे के मुख से पहला सार्थक शब्द सुनना हर माता-पिता के लिए एक सुखद क्षण होता है। जब वह तुतलाकर बोलने की चेष्टा करता है तो उनका हृदय हर्ष से गद्गद् हो जाता है। बच्चे की यह अवस्था काफी मोहक होती है, परंतु देखा गया है कि कुछ बच्चे ठीक समय पर बोलना नहीं सीख पाते।

ड िलेड स्पीच या देर से बोलने के कारण :

1 आई.क्यू. लेवल का कम होना : आई.क्यू. लेवल बुद्धि की एक माप है, जिसे आई.क्यू. टेस्ट द्वारा आसानी से पता किया जा सकता है।

2 सुनने की शक्ति में न्यूनता : हो सकता है बच्चे की सुनने की शक्ति कम हो, जिससे वह कई आवाजें सुन नहीं पाता और जिससे उन्हें बोल भी नहीं पाता।

3 स्मरण शक्ति कमजोर होना : आयु के साथ-साथ इनकी स्मरण शक्ति नहीं बढ़ती है। लंबे वाक्यों को सुनकर बोलने में इन्हें परेशानी होती है।

4 डेमेज (क्षति) : किसी कारणवश यदि बच्चे के वोकल कॉर्ड, इंटरनल इयर में या इनके नर्वस सिस्टम (तंत्रिकाओं) में अथवा मस्तिष्क के ब्रोंका या वरनिक्स एरिया में क्षति हो जाए, तब भी बच्चे में डिलेड स्पीच देखने में आती है।

5 कनेक्टियोनिस्ट मॉडल : उसके माता-पिता में स्पीच डिफेक्ट हो, दोनों कामकाजी हों तो बच्चों पर ध्यान न दिया जाता हो या फिर अत्यधिक लाड़-प्यार के कारण बच्चे को बोलने के लिए प्रोत्साहित न किया जाता हो। इन कारणों से भी डिलेड स्पीच देखने में आती है।

6 भावनात्मक कारण : अगर बच्चा एकाएक बोलना बंद कर दे या कम बोलने लगे, तुतलाकर या हकलाकर बोलने लगे अर्थात वाणी में कोई भी परिवर्तन जो अचानक हो तो उसके साथ बच्चे के इमोशंस जुड़े होते हैं।

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