अखिल भारतीय कलमकार कहानी प्रतियोगिता का पुरस्‍कार वितरण

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नई दिल्ली। अखिल भारतीय कलमकार कहानी प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण समारोह दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में संपन्न हुआ। 
 
पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ लेखिका चित्रा मुद्गल ने की और विशिष्‍ट अतिथि के तौर पर हिंदी के वरिष्ठ कवि लीलाधर मंडलोई और वरिष्ठ आलोचक भारत भारद्वाज मंच पर मौजूद थे। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के लिए काम करनेवाली संस्था कलमकार फाउंडेशन ने पिछले साल अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता का आयोजन किया था। 
कहानी प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार भोपाल की इंदिरा दांगी और द्वितीय पुरस्कार लखनऊ की रजनी गुप्त और जम्मू की लेखिका योगिता यादव को दिया गया। इसके अलावा तीन तृतीय पुरस्कार और दस सांत्वना पुरस्कार भी दिए गए। प्रथम पुरस्कार के तौर पर विजेता को इक्कीस हजार रुपए और प्रतीक चिन्ह दिया गया। द्वितीय पुरस्कार पाने वालों को ग्यारह हजार रुपए का चेक और स्मृति चिन्ह दिया गया। पुरस्कार पाने वालों में कुरुक्षेत्र की लेखिका कमलेश चौधरी, नीलम कुलश्रेष्ठ, सुषमा मुनीन्द्र समेत कई नवोदित लेखकों को पुरस्कृत किया गया। 
 
इस मौके पर बोलते हुए वरिष्ठ आलोचक और वर्तमान साहित्य के कार्यकारी संपादक भारत भारद्वाज ने कहानी में यथार्थ की बात की। उन्होंने कहा कि यथार्थ वह नहीं जो सामने दिखता है। यथार्थ हमेशा पृष्ठभूमि में होता है। कहानी उसकी तलाश करती है। जीवन का यथार्थ कहानियों में किस तरह आता है, हम कैसे उसका ट्रीटमेंट करते हैं, यही ट्रीटमेंट कहानी को महत्वपूर्ण बनाता है।
 
भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक और नया ज्ञानोदय के संपादक और वरिष्ठ कवि लीलाधर मंडलोई ने इसी बहस को आगे बढ़ाते कहा कि हमारे समय का यथार्थ बहुत क्रूर है। मंडलोई ने समताली हिंदी कहानी लेखन के सामने एक सवाल भी दागा और पूछा कि क्या हमने इस भीषण यथार्थ से टकराने की तैयारी कर ली है? क्या हमने मुश्किलों और यथार्थ की शिनाख्त कर ली है?
 
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में चित्रा मुद्गल ने कहा कि इस समय बहुत अधिक स्त्रियां कहानी लिख रही हैं। वे अपने समय के क्रूर यथार्थ से टकरा रही हैं। उन्होंने बहुत से बैरियर को तोड़ा है। वे यौनशुचिता के बोध से ऊपर उठकर साहसिक कहानियां लिख रही हैं। अभिव्यक्ति की आजादी ने उनमें लेखन का साहस भरा है। 
 
समारोह का संचालन वरिष्ठ पत्रकार और कथाकार गीताश्री ने किया। इस मौके पर पुरस्कृत कहानियों के संग्रह-कहानी का विमोचन भी किया गया। पुरस्कार वितरण समारोह में हिंदी के वरिष्ठ उपन्यासकार भगवानदास मोरवाल, अजय नावरिया समेत कई कथाकार, लेखक, पत्रकार और साहित्यप्रेमी मौजूद थे। 
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