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अल्लाह से भी सौदेबाज़ी करते हो
हर नेकी करते हो शोहरत की ख़ातिर, अल्लाह से भी सौदेबाज़ी करते हो - मेहबूब राही
मोतियों की हुई बरसात
मोतियों की हुई बरसात मोहल्ले भर में, मेरे आँगन में बरसते रहे कंकर पत्थर - मेहबूब राही
मेरे क़दमों पे पड़ी है दुनिया
तुम जो कहते हो बड़ी है तो बड़ी है दुनिया, वरना देखो मेरे क़दमों पे पड़ी है दुनिया - मेहबूब राही
वो जब आए तो
वो जब आए तो मेरा हाल न देख, और चला जाए तब मिज़ाज न पूछ - ज़ेबा जोनपुरी
तुम से मिलकर भी लोग
तुम से मिलकर भी लोग थे मायूस, और बिछड़ कर भी हाथ मलते हैं - ज़ेबा जोनपुरी
मंज़िल का सब को शौक़
अन्दाज़ कुछ अलग ही मेरे सोचने का है, मंज़िल का सब को शौक़ मुझे रास्ते का है - ज़ेबा जोनपुरी
मज़दूर कभी नींद की गोली
सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर, मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते।
किसी की याद को दिल में
किसी की याद को दिल में बसाना ठीक है लेकिन, ये ऐसा ज़ख़्म है जो उम्र भर अच्छा नहीं होता - मुनव्वर रा
दवा की तरह खाते जाइए
दवा की तरह खाते जाइए गाली बुजुर्गों की, जो अच्छे फल हैं उनका जायका अच्छा नहीं होता - मुनव्वर राना
दरिया बनते तो दूर निकल सकते थे
तुम तो ठहरे रहे ठहरे हुए पानी की तरह, दरिया बनते तो बहुत दूर निकल सकते थे।
मेरा आँसू तेरी आँख से
दर्द मेरा तेरी सरकार में पहुँचा कैसे, मेरा आँसू ये तेरी आँख से टपका कैसे।
जो कुछ भी हूँ मैं देख लो
इस बदलते दौर में जो कुछ भी हूँ मैं देख लो, कल जो देखोगे तो मंज़र दूसरा हो जाएगा।
पाँव के नीचे निकल गईं सदियाँ
चले तो फ़ासला तै हो न पाया लम्हों का, रुके तो पाँव के नीचे निकल गईं सदियाँ।
हम तो हँसने की रस्म अदा करते हैं
लोग क्यों खा गए होंटों की हँसी से धोका, हम तो हँसने की फ़क़त रस्म अदा करते हैं।
दुनिया ने उसकी राह में
दुनिया ने उसकी राह में काँटे बिछा दिए, फूलों से जिसने बाग़ को आरास्ता किया। आरास्ता = सुसज्जित
मौत रोज़ निवाले बदलती रहती है
मैं ज़िंदगी तुझे कब तक बचा के रक्खूँगा, ये मौत रोज़ निवाले बदलती रहती है - मुनव्वर राना
दुनिया तवाइफ़ों की तरह
बड़ी अजीब है दुनिया तवाइफ़ों की तरह, हमेशा चाहने वाले बदलती रहती है - मुनव्वर राना
मर्द का ऎतबार खोती है
मुफ़लिसी सब बहार खोती है, मर्द का ऎतबार खोती है - मीर
ख़ुदा का शुक्र है
ख़ुदा का शुक्र है फ़ाज़िल के ज़िन्दगी अपनी, ग़मों के साथ बहुत ख़ुशगवार गुज़री है - फ़ाज़िल अंसारी
जाता हूँ दिल में ज़ख़्म लिए
आया था अपने गाँव से दामन में लेके फूल, जाता हूँ दिल में ज़ख़्म लिए तेरे शहर से।
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