जरुरी एसेसरी है मोबाइल

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मोबाइल अब एक आवश्यक 'एसेसरी' के रूप में अपनी जगह बना चुका है। ऐसा इसलिए भी है कि मोबाइल में स्थित 'फंक्शंस' आपको ढेर सारी 'फेसिलिटी' देते हैं और आप ज्यादा सामान जैसे डायरी, घड़ी, छोटा कैलेंडर, कैलक्युलेटर और अब तो लैपटॉप भी कैरी करने से बच जाते हैं।

अगर आपके पास मोबाइल फोन है तो आपको कई चीजें साथ रखने की जरूरत अब नहीं होना चाहिए। घड़ी, अलार्म घड़ी, फोन डायरी, ऑर्गनाइजर, कैलक्युलेटर जैसी कई चीजें एक ही जगह अब समाहित हो चुकी हैं। ये सुविधाएँ लगभग हर मोबाइल हैंडसेट में भी उपलब्ध हैं।

आइए जानें किस तरह से-

घड़ी :
आज लगभग साठ फीसदी मोबाइल रखने वाले लोगों ने घड़ी बाँधना छोड़ दिया है। समय देखना है तो मोबाइल की स्क्रीन को देख लीजिए। यहाँ तक कि इससे घड़ियों की बिक्री पर भी असर पड़ा है। अब कई लोग घड़ी नहीं खरीदना चाहते, क्योंकि उनका मोबाइल स्क्रीन समय और तारीख भी बताता है।

अलार्म घड़ी :
अभी तक अगर आपको जगना हो तो अलार्म लगाने के लिए अलग से एक अलार्म घड़ी रखना पड़ती थी, क्योंकि कलाई घड़ी में आमतौर पर अलार्म नहीं होता, पर अब मोबाइल फोन में ही आप जब चाहें अलार्म लगा सकते हैं। कई फोन में एक बार के लिए और रिपीट अलार्म लगाने कीसुविधा भी मौजूद है।

फोन डायरी :
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इसी तरह से जेब में अलग से फोन डायरी रखने की भी जरूरत नहीं है। आपके मोबाइल में अब आमतौर पर 300 से लेकर 2000 लोगों तक के नाम, पते सुरक्षित किए जा सकते हैं। फिर अलग से डायरी रखने की क्या जरूरत है। हाँ, अपने मोबाइल में सेव किए गए नाम, पते को सुरक्षा के लिए आप घर में किसी डायरी में भी लिख कर रखें तो बहुत अच्छी बात होगी।

कैलक्युलेटर :
पहले जहाँ आपको इलेक्ट्रॉनिक कैलक्युलेटर के लिए अलग से एक बड़ा डिब्बा लेकर चलना पड़ता था, वहीं आजकल लगभग हर मोबाइल में कैलक्युलेटर का विकल्प होता ही है। आप इसमें सामान्य कैलक्युलेटर वाले सारे काम ले सकते हैं। हाँ, साइंटिफिक या विशेष कैलक्युलेटर इसमें नहीं होते।

ऑर्गनाइजर :
आपको कब कहाँ जाना है, यह याद दिलाने के लिए आपका मोबाइल एक सचिव की भूमिका भी निभाता है। मोबाइल फोन ने डिजिटल ऑर्गनाइजर का बाजार भी लगभग खत्म कर दिया है। पहले लोग खासतौर पर फोन बुक के लिए और अपने अप्वाइंटमेंट याद रखने के लिए जेब में एक डिजिटल ऑर्गनाइजर लेकर चला करते थे, पर अब यह सब कुछ मोबाइल में ही संभव है। विपिन बजाज एक इंश्योरेंस एडवाइजर हैं, जो अपने सारे अप्वाइंटमेंट और किस दिन कौन-सा काम करना है, यह याद करने के लिए फटाफट उसे मोबाइल में ही फीड कर लेते हैं। उनका फोन उस समय काम की याद दिला देता है।
  मोबाइल अब एक आवश्यक 'एसेसरी' के रूप में अपनी जगह बना चुका है। ऐसा इसलिए भी है कि मोबाइल में स्थित 'फंक्शंस' आपको ढेर सारी 'फेसिलिटी' देते हैं...      


इस प्रकार हम देखते हैं कि अगर एक सामान्य-सा मोबाइल लिया जाए, जिसमें कैमरा, एफएम रेडियो आदि न भी हो तो भी वह आपके कई तरह के काम आता है। अब लोग अपने शौक पूरे करने के लिए कैमरा, रेडियो, जीपीआरएस, इन्फ्रारेड अथवा गाने सुनने की सुविधा वाले सेट ढूँढते हैं, पर अगर इतना सब कुछ न हो तो भी दो से तीन हजार रुपए के हैंडसेट में भी कई तरह की सुविधाएँ मौजूद हैं।

अब रंगीन हैंडसेट भी तीन हजार से कम में आरंभ होने लगे हैं तो आप जब मोबाइल खरीदने की योजना बना रहे हों तो यह देख लें कि बातें करने के अलावा आपकी जरूरतें और क्या-क्या हैं। इसके बाद ही कोई हैंडसेट खरीदे।
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