लेकिन अपनी माँ की सेहत का सिर्फ हमें ही नहीं बल्कि खुद माँ को भी एक विशेष प्रकार का अभिमान था। प्रकांड ज्योतिषी पद्मभूषण पं. सूर्यनारायण व्यास की पुत्री होने के हर नियम का पालन करने वाली वे आयुर्वेद की ज्ञाता और परम धार्मिक महिला हैं।
सुबह 3 बजे उनका शीतल जल से स्नान हो जाता और कब वे महाकालेश्वर की भस्मार्ति में शामिल होने अकेले चल पड़ती इस बात से हम दीर्घसूत्री संतान हमेशा अनजान रहें। बस एक आवाज आती 'दरवाजा लगा लेना।' और हम तीनों भाई-बहन में से कोई एक उनींदा सा, धकियाता दरवाजे तक जाता और लौट आता। अक्सर यह श्रमसाध्य काम मेरे जिम्मे आता, घर में सबसे छोटी हूँ ना।