Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

मां पर शैलेष लोढ़ा की कविता : बस यही मां की परिभाषा है

Advertiesment
हमें फॉलो करें मां पर शैलेष लोढ़ा की कविता : बस यही मां की परिभाषा है
हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है,
हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है। 
बस यही मां की परिभाषा है...
 
हम समुंदर का है तेज तो वह झरनों का निर्मल स्वर है,
हम एक शूल है तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर है।
 
हम दुनिया के हैं अंग, वह उसकी अनुक्रमणिका है,
हम पत्थर की हैं संग वह कंचन की कृनीका है।
 
हम बकवास हैं वह भाषण हैं हम सरकार हैं वह शासन हैं,
हम लव कुश है वह सीता है, हम छंद हैं वह कविता है।
 
हम राजा हैं वह राज है, हम मस्तक हैं वह ताज है,
वही सरस्वती का उद्गम है रणचंडी और नासा है।
 
हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है,
बस यही मां की परिभाषा है।
 
कवि - शैलेष लोढ़ा

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्यों मनाया जाता है World Red Cross Day , जानिए इतिहास और इस साल की थीम