मदर्स डे पर हिन्दी कविता : तुम पृथ्‍वी सी मेरा ग्रह, मैं चंद्रमा सी तुम्हारा उपग्रह

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- निहारिका सिंह

happy mothers day poem in hindi
मां, अच्छा लगता है
ये सुनकर कि मैं अब तुम्हारे सी दिखने लगी हूं।
पहले लगा क्या खुद को खो दिया है? 
 
फिर जाना
मैं तुमसे अलग थी ही कहां।
तुम पृथ्‍वी सी मेरा ग्रह
मैं चंद्रमा सी तुम्हारा उपग्रह,
दूर रहकर भी तुम्हारे इर्द-गिर्द
तुम्हारी ही सीखों की राह पर
प्रदक्षिणा करती, निश्चित गति से।
 
मां, तुम जिस सूर्य को अर्घ्य देती हो
वही सुबह मेरा दरवाजा खटकाता है,
तुम जिस पूनम के चांद को पूए चढ़ाती हो
वही मेरी खीर में अमृत बरसाता है 
 
तुम्हारी तुलसी चौरे के अंकुर
मेरे आंगन में उग आए हैं,
तुम्हारी तरह बातें भूल जाने के गुण
मुझमें भी उभर आए हैं 
तुम्हारी तरह दाल का छौंक लगाने
और सौंधी रोटियां सेंकने का अभ्यास करते
मां मैं तुम्हारी सी दिखने लगी हूं। 
लेती नहीं दवाई अम्मा, जोड़े पाई-पाई अम्मा, यह किसकी कविता है?

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