क्या बच्चा सिर्फ मां की जिम्मेदारी है?

Webdunia
स्त्री के लिए मां बनने से बढ़कर और कोई खुशी नहीं होती है। मातृत्व धारण करते ही उसे अपनी पूर्णता का अनुभव होने लगता है। समाज में मां का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। ये सारी बातें कहने और सुनने में बहुत गरिमामय और सुखद लगती हैं किंतु प्रायः सच इसके विपरीत मिलता है।

 
FILE


प्रायः यह पढ़ने-सुनने में आता है कि निर्दयी मां ने अपने नवजात शिशु को कचरे में फेंका। ऐसे समाचार पढ़ते ही एक निर्दयी युवती की तस्वीर सबकी आंखों में तैर जाती है। किंतु उस नवजात शिशु का पिता? उसके बारे में कितने लोग विचार करते हैं?

 

अगले पेज पर : क्या बच्चा सिर्फ मां की जिम्मेदारी है?

 

 


शिशु का जन्म और उसका लालन-पालन यदि अकेली मां की जिम्मेदारी है तो उस समय यह धारणा कहां जाती है जब कोई अविवाहिता मां बनती है। एक ओर सामाजिक सोच अविवाहित मां को बदचलन, कुलटा आदि नाना प्रकार के नामों से विभूषित करती है और दूसरी ओर इन्हीं लांछनों से घबरा कर अपने शिशु को त्यागने की पीड़ा सहने वाली युवती को निर्दयी करार दे दिया जाता है। गोया, चित भी मेरी पट भी मेरी। शिशु के जन्म के जिम्मेदार पिता को कोई नहीं ढूंढ़ता है। सारे लांछन मां की झोली में डाल दिए जाते हैं।

FILE


मां को दोषी ठहराने की मानसिकता आज की नहीं है, दुर्भाग्यवश यह दोहरी मानसिकता भारतीय समाज में पुरातनकाल से चली आ रही है। महाभारतकाल में कुंती को सूर्य से उत्पन्न अपने पुत्र को नदी के जल में बहा देना पड़ा। यदि इस कथा को मानवीय दृष्टिकोण से देखा जाए तो कुंती जीवन भर पुत्र-वियोग सहती रही किंतु खुलकर अपने पुत्र को स्वीकार नहीं कर सकी।

दूसरी ओर पिता सूर्य जीवन भर अपने पुत्र को देखता रहा और इतना साहस न कर सका कि दुनिया को बता दे कि कर्ण उसका पुत्र है। देवता का स्थान रखने वाला सूर्य भी एक पुरुष के रूप में भीरु सिद्ध हुआ।

पौराणिक कथाओं में भी अनेक ऐसे उदाहरण मिलते हैं जब स्त्रियों ने समाज द्वारा अवैध और "पाप" कहे जाने वाले शिशुओं का अडिग रह कर पालन-पोषण किया। किंतु आधुनिक समाज में स्त्री को कुछ हद तक स्वतंत्रता तो मिली है किंतु मातृत्व का समुचित अधिकार अभी नहीं मिला है।

प्रेमी द्वारा छल किए जाने पर यदि गर्भवती युवती गर्भपात कराने के लिए घर-परिवार अथवा डॉक्टर से चर्चा करती है तो उसे जमकर लानत-मलामत सहनी पड़ती है। उस पर यदि खाप-पंचायत की भेंट चढ़ गई तो प्राणों से भी हाथ धोना पड़ता है। यदि वह युवती शिशु को जन्म देने और अकेले लालन-पालन करने का निर्णय लेती है तो समाज उसे इसकी अनुमति नहीं देता है।

समाप्त

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

बालों की खोई चमक लौटाएगा शहतूत का हेयर मास्क: जानें बनाने का तरीका और फायदे

New Year Resolution 2025: नए साल में अपने वेट लॉस गोल को रियलिटी बनाएं, अपनाएं डाइटिशियन के बताए ये 7 टिप्स

दही में मिलाकर लगाएं ये एक चीज, बेजान बालों में लौट आएगी जान, जानें लगाने का सही तरीका

क्या शिशु के शरीर के बाल हटाने के लिए आटे का इस्तेमाल सही है? जानिए इस नुस्खे की सच्चाई

Christmas 2024 : रेड, शिमरी या वेलवेट? जानें क्रिसमस पार्टी के लिए बेस्ट आउटफिट आइडियाज

सभी देखें

नवीनतम

बच्चों की याददाश्त और फोकस बढ़ाने के लिए ये हैं सुपर ब्रेन फूड्स

बिबेक और सृजना की अमर प्रेम कहानी: प्रेम को पूजा और पति की सेवा को जीवन माना, लेकिन कैंसर ने किया जुदा

National Mathematics Day 2024 : कब और क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय गणित दिवस, जानें महान गणितज्ञ रामानुजन के बारे में

सालों से आंतों में जमी गंदगी होगी साफ, बस सुबह उठते ही पीजिए ये पानी

सर्दियों में हरी फलियां क्यों हैं सेहत का खजाना? जानें 6 बेहतरीन फायदे