Dharma Sangrah

mothers day poem : जो मां का आंचल मुट्ठी में भर गहरी नींद में सोया हो

शैली बक्षी खड़कोतकर
मां
 
सबसे खूबसूरत है वह
जिसके माथे और हथेलियों पर 
मां ने काला दीठौना लगाया हो।
 
सबसे तृप्त है वह
जिसे मीठी झिड़की के साथ
मां ने आखिरी दो निवाले खिलाए हो।
 
सबसे निश्चिंत है वह
जो मां का आंचल मुट्ठी में भर
गहरी नींद में सोया हो।
 
सबसे निडर है वह
जिसकी ऊंगली का एक छोर
मां के हाथों में रहा हो।
 
सबसे धनवान है वह
जिसकी मां की गोद में चढ़ने की जिद
पूरी हो गई हो।
 
सबसे खुशकिस्मत है वह
जो साथ है मां के।
 
शैली बक्षी खडकोतकर

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