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शैली बक्षी खड़कोतकर
शैली बक्षी खड़कोतकर मीडिया शिक्षक एवं स्वतंत्र लेखिका हैं।
जैसे ओस से भीगी भोर में चुपके से किसी ने हाथ पर हरसिंगार रख दिया हो
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मैं और मेरी मां : मां मेरे हिस्से बहुत कम आती है
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आयशा : आत्महत्या या प्रेम का कपट-वध?
mothers day poem : जो मां का आंचल मुट्ठी में भर गहरी नींद में सोया हो
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