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साख की लड़ाई में फंसी बीजेपी की एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार

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विशेष प्रतिनिधि

, शुक्रवार, 16 नवंबर 2018 (15:36 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश की सियासत में अब जब हिंदू-मुस्लिम सियासत की एंट्री हो गई है और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ एक दूसरे निशाना साध रहे हैं। तब पूरे सूबे की निगाह भाजपा की एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार पर टिक गई है, जिसे पार्टी ने भोपाल उत्तर सीट से चुनावी मैदान में उतारा है।
 
 
भोपाल उत्तर सीट इस मायने में बेहद खास है क्योंकि इस सीट का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के आरिफ अकील करते हैं, जो मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में एक मात्र मुस्लिम विधायक हैं। भाजपा ने इस सीट पर कांग्रेस और आरिफ अकील के गढ़ में सेंध लगाने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन भाजपा को पिछले तीन चुनाव से मात ही खानी पड़ी है। इस बार भी भाजपा ने इस सीट से सूबे में मात्र एक मुस्लिम उम्मीदवार फातिमा रसूल सिद्दीकी को चुनावी मैदान में उतारा है।
 
 
सियासी परिवार से ताल्लुक रखने वाली फातिमा रसूल सिद्दीकी का मुकाबला कांग्रेस के 15 सालों से विधायक आरिफ अकील से है। पचपन फीसदी मुस्लिम वोटों वाली इस सीट को भाजपा न तो 2003 में उमा भारती की लहर में और न ही 2008 और 2013 में शिवराज और मोदी की लहर में जीत सकी।
 
भाजपा भोपाल उत्तर सीट को जीतने के कितनी व्याकुल है, उसको इस तरह समझा जा सकता है कि इस सीट की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी ले चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी भाजपा इस सीट पर अपना झंडा नहीं लहरा सकी।
 
 
इस बार आरिफ अकील को घेरने के लिए पार्टी ने एक बार फिर मुस्लिम चेहरे को मैदान में उतारा है। अगर इस सीट पर कांग्रेस के आरिफ अकील के जीत के पिछले तीन बार के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएंगे तो 2003 में आरिफ अकील ने रामेश्वर शर्मा को करीब 8 हजार वोटों से हराया तो वहीं 2008 में आलोक शर्मा को तकरीबन 4 हजार वोटो से मात दी।
 
2013 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आरिफ अकील के सामने पार्टी के बड़े मुस्लिम चेहरे आरिफ बेग को चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन उसके बाद बावजूद भी बीजेपी यहां से जीत का स्वाद नहीं चख पाई और एक बार फिर आरिफ अकील ने लगभग 7 हजार वोटों से जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार भाजपा ने इस सीट पर एक युवा महिला मुस्लिम चेहरे को चुनावी मैदान में उतारकर नया दांव चला है। ऐसे में इस बार भी विधानसभा चुनाव में भोपाल उत्तर सीट को जीतना भाजपा और कांग्रेस के बीच साख का सवाल बन गया है।

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