भोपाल। मध्यप्रदेश में वोटिंग के बाद अब सरकार बनाने को लेकर सियासी दलों में दांव पेंच का सिलसिला शुरू हो गया है। वोटिंग के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने स्थानीय स्तर पर उम्मीदवारों से फीडबैक लेना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस ने जहां छह दिसंबर को अपने सभी 229 उम्मीदवारों को भोपाल बुलाया है वहीं बीजेपी भी अपने उम्मीदवारों से चुनावी नब्ज टटोलने में लगी हुई है।
सूबे में इस बार सरकार कौन सी पार्टी बनाएगी ये तो ग्यारह दिसंबर को ही पता चलेगा लेकिन इस बार सत्ता के लिए सियासी दलों में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है।
कांटे के मुकाबले में फंसी बीजेपी और कांग्रेस सरकार बनाने के लिए कोई मौका चूकना नहीं चाहती। प्रदेश के इतिहास में बंपर रिकॉर्डतोड़ वोटिंग के बाद अब सबकी निगाह ग्यारह दिसंबर पर लग गई है। जिस दिन ये तय होगा कि सूबे में कौन सा सियासी दल सत्ता में बैठेगा।
चुनावी विश्लेषक इस बार सूबे में कांटे के मुकाबला मान रहे है। वहीं चुनावी जानकार इस बात की भी संभावना जता रहे है कि इस बार चुनाव परिणाम काफी चौंकाने वाले हो सकते हैं।
इस बार के विधानसभा सभा चुनाव में विंध्य, ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड और महा कौशल में कुछ सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष के हालात बने है। जिसके बाद अब इन सीटों पर अब चुनावी परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।
वहीं सूबे की कुछ सीटों पर बागी उम्मीदवारों ने भी अपनी दमदार उपस्थित दर्ज कराई है। ऐसे में अब भाजपा और कांग्रेस ने सूबे में सरकार बनाने के लिए प्लान बी पर भी काम शुरू कर दिया है।
सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा अब पार्टी से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले बागी उम्मीदवारों से बातचीत करना शुरू कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी उन सभी समीकरणों को ध्यान में रखकर अपनी योजना बनाने में जुट गई जिससे कि सूबे में पार्टी सत्ता में बनी रही।
कांटे के मुकाबले वाले हुए चुनाव में अगर नतीजों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला तो निर्दलीय और छोटे दल से जीत कर आने वाले नेताओं की पूछ परख एकदम से बढ़ जाएगी।
प्रदेश में चुनाव से पहले गठबंधन करने में नाकाम रहीं कांग्रेस ने भी चुनाव नतीजों को ध्यान में रखते हुए संकेत दे दिए है कि चुनाव के बाद पार्टी का समाजवादी पार्टी के साथ पोस्ट एलायंस हो सकता है। वहीं 2013 में छह फीसदी से अधिक वोट पाने वाली बहुजन समाज पार्टी पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की निगाह है।
चुनाव से पहले गठबंधन को लेकर बसपा और कांग्रेस में जो तल्खी सामने आई थी। चुनाव के बाद अब भाजपा उसका फायदा उठाने की फिराक में है।
चुनावी जानकारी इस बात की संभावना जता रहे है कि इस बार प्रदेश में बसपा पिछले चुनाव से अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। ऐसे में पिछली बार 4 विधायकों वाली बसपा की इस बार विधानसभा में सीटें बढ़ने की पूरी संभावना है।
ऐसे में अगर चुनावी परिणाम चौंकाने वाले होते है और किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो बसपा, सपा समेत निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने वाले उम्मीदवारों पर सबकी निगाहें टिक जाएगी।
ऐसे में भाजपा और कांग्रेस की निगाह ग्यारह दिसंबर को होने वाली मतगणना के साथ ही अब उसके बाद बनने वाले सियासी समीकरणों पर भी जा टिकी है और इन्हीं संभावित समीकरणों को ध्यान में रखकर दोनों ही पार्टियों ने सत्ता के लिए प्लान बी पर काम शुरू कर दिया है।