कपल्स के लिए अब बच्चे नहीं रहे प्राथमिकता, कुछ है जो इससे भी जरूरी है....

नम्रता जायसवाल
बदलते वक्त के साथ अब महिलाओं की प्रेग्‍नेंसी को लेकर सोच भी काफी बदल गई है। आज की महिलाएं अचानक ही बिना सोचे-समझे गर्भधारण नहीं करती। आज महिलाएं प्रेग्‍नेंसी को लेकर अपने साथी के साथ प्लान करती हैं, इस बारे में खुलकर बातें करती हैं और फेमेली प्लानिंग जैसी चीजों को अहमियत देती हैं। इसका एक मुख्य कारण है उनका शिक्षित होना, केवल घरेलू न होते हुए बाहर कि जिम्मेदारियां भी बराबरी से निभाना। आज जो भी लड़की या महिला नौकरीपैशा है, वह अपने करियर को भी काफी महत्व देती हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि आज के समय में उनका आत्मनिर्भर होना काफी मायने रखना है।
 
जिस तरह से अब कोई भी चीज पहले की तरह सस्ती नहीं रह गई है, महंगाई काफी बढ़ी है ऐसे में कपल्स के लिए यह एक महत्वपूर्ण निर्णय होता है कि कितने बच्चों को इस दुनिया में लाया जाए, जिनका वे अपने स्तर पर बेहतर तरह से पालन-पोषण कर पाएं। 
 
अब महिलाओं के पास पहले जैसा खाली समय भी नहीं रह गया है, न ही अब संयुक्त परिवार ज्यादा बचे हैं, ऐसे में घर और बाहर की जिम्मेदारियों के बीच गर्भधारण करके बच्चे की परवरिश के लिए पर्याप्त समय निकालना कपल्‍स के लिए, खासतौर से महिलाओं के लिए एक कठिन चुनौती हो गया है। 
 
आज के समय में उम्र के 23 से 25 बरस तो पढ़ाई खत्म होने में ही लग जाते हैं, जिसके बाद ज्यादातर लड़कियां अपने करियर को संवारने में कुछ साल देना चाहती हैं, ताकि वे भी शादी से पहले अपने आपको आर्थिक रूप से मजबूत बना लें।
 
उनकी ये सोच गलत भी नहीं है, यदि आप मुंबई, बंगलुरु, दिल्ली जैसे बड़े शहरों की बात करें तो पढ़े-लिखे नौकरीपेशा लड़के भी ऐसी ही लड़की को अपनी जीवनसंगिनी बनाना चाहते हैं, जो कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ आर्थिक मामलों में भी चल पाएं। क्‍योंकि इन शहरों में एक अच्छी लाइफस्टाइल पाना महंगा ही इतना हो गया है कि लड़के अकेले अपने दम पर इन सबका बोझ नहीं उठा पाते। खासतौर से वे लड़के जिनके पास उनके पिता  द्वारा दी हुई कोई भी अतिरिक्त संपत्ति व किसी तरह की कोई मदद न हो। 
 
यही कारण है कि आज के समय में कपल्‍स के लिए बच्चे प्राथमिकताओं के पायदानों में दूसरे व तीसरे पायदान पर चले गए हैं।


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