सुलगती आग और ठंडी होती संवेदनशीलता

देवेंद्रराज सुथार
गुजरात के सूरत में स्थित तक्षशिला नामक कॉम्प्लेक्स में शार्ट सर्किट से लगी आग में छात्र-छात्राओं समेत 23 जनों की मौत ने पूरे देश को दहला दिया। कॉम्प्लेक्स की चौथी मंजिल पर एक शेड के नीचे जीवन को संवारने की तालीम हासिल करने वाले बच्चों का जब धुएं के कारण दम घुटने लगा तो उन्हें आग की भनक लगी और देखा तो सामने से उठ रही आग की भयावह बेकाबू लपटें उन्हें भस्म करने के लिए आगे बढ़ रही थी। इस मंजर में बेसहारा छात्रों के पास चौथी मंजिल से छलांग लगाकर अपने प्राणों को बचाने के सिवाए कोई दूसरा रास्ता नहीं था इसलिए देखते ही देखते एक के बाद एक छात्र ने कूदना शुरू कर दिया।


कई छात्रों की तो ऐसा करके जान बच गई लेकिन कई छात्रों को अपनी जान गंवानी पड़ी। हादसा के हृदय विदारक वीडियो और तस्वीर देखकर कोई भी व्यक्ति विचलित व व्यथित हो सकता है। लेकिन यह समझ से परे है कि कॉम्प्लेक्स के नीचे खड़े-खड़े यह दृश्य प्रत्यक्ष अपनी आंखों से देखने वाले लोगों की आत्मा क्यों नहीं कचोटनी लगी, उनकी संवेदनशीलता क्यों मर गई। आखिर इस जीवन और मृत्यु की घड़ी में लोगों ने सहायता के लिए हाथ आगे क्यों नहीं बढ़ाएं। 
 
हादसा किसी के भी साथ हो सकता है। ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए मानव सहयोग की अपेक्षा हर इंसान करता है। लेकिन सूरत के लोगों ने मदद के बजाय वीडियो बनाकर अपनी मानवता का जो मखौल उड़ाया, जिसकी कल्पना सपने में भी नहीं की जा सकती। खैर, यह कोई पहला और अंतिम हादसा नहीं है, जिसमें जनमानस की अपेक्षित मदद के बजाय उदासीनता दिखी हो, बल्कि आजकल प्राय: प्रत्येक दर्दनाक घटना के समय लोगों का यही आंख खुली होने के बाद भी आंख मूंदने वाला रूख नजर आता है।

सेल्फी लेने की चाह और वीडियो बनाने की बीमारी से ग्रसित लोग अपने दात्यिवों और कर्तव्यों के प्रति पूर्णतय: भ्रमित हो चुके हैं। जिंदगी से बढ़कर सेल्फी और वीडियो को महत्व देना किसी की जिंदगी को बचाने के बजाय खुद की जिंदगी को भी खतरे में डाल सकता है। शायद ! ये हम भूलते जा रहे हैं। लोगों की इस उदासीनता के बाद हादसा के घटित होने की बड़ी बजह लापरवाही है। कोई भी छोटा या बड़ा हादसा बिना लापरवाही के अंजाम नहीं लेता है। सूरत के कॉम्प्लेक्स के भूतल पर लगी आग इसलिए चौथी मंजिल तक जा पहुंची की वहां आग को काबू करने या उसे बुझाने के लिए अग्निशमन यंत्र जैसी सुविधा का अभाव था। 
 
यदि भूतल पर शार्ट सर्किट से लगी आग को अग्निशमन यंत्र से बुझा दिया जाता तो इस बड़े हादसे को टाला जा सकता था। लेकिन दुर्भाग्यवश आग को नियंत्रित करने की समुचित व्यवस्था नहीं होने के चलते एक छोटे से शार्ट सर्किट ने भीषण आग का रूप लेकर कई घरों के चिरागों को हमेशा के लिए बुझा दिया। आवश्यकता है कि इस हादसे के दोषी कॉम्प्लेक्स के मालिक, कोचिंग के शिक्षकों सहित इससे जुड़े व्यक्तियों को दंडित किया जाना चाहिए, जिन्होंने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम की परवाह किये बगैर ही कोचिंग संस्थान को संचालित होने दिया।

साथ ही, सरकार को बहुमंजिला इमारतों में होने वाले आग के हादसों को लेकर जीवनरक्षा के लिए बेहतर उपाय तलाशने होंगे, यही वक्त का तकाजा भी है। प्रत्येक भीषण से भीषण हादसा इस तरह के भीषण हादसों से बचने के लिए और अपने जीवन को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा सबक है। बेशर्त हम हादसों से सबक लेना सीख लें।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

गर्मियों में करें ये 5 आसान एक्सरसाइज, तेजी से घटेगा वजन

रोज करें सूर्य नमस्कार, शरीर को मिलेंगे ये 10 फायदे

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

ये 3 ग्रीन टी फेस मास्क गर्मियों में त्वचा को रखेंगे हाइड्रेट, जानें बनाने की विधि

गर्मियों में पहनने के लिए बेहतरीन हैं ये 5 फैब्रिक, जानें इनके फायदे

वीएफएक्स में बनाएं क्रिएटिव करियर

सेक्युलर शब्द भारत में धर्म की अवधारणा से मेल नहीं खाता

Malaria day 2024 : मलेरिया बुखार से बचने के 10 तरीके

25 अप्रैल: विश्व मलेरिया दिवस 2024 की थीम और इस रोग के बारे में जानें

बॉयफ्रेंड को दिन में करती थी 100 कॉल्‍स, डॉक्‍टर ने कहा Love Brain है, आखिर क्‍या है Love Brain Disorder?

अगला लेख