शांति स्थापना को असंभव करता नेताओं का अहंकार

शरद सिंगी
आज आप दुनिया के किसी भी नेता से पूछिए। क्या आप शांति चाहते हैं ? सभी का जवाब सकारात्मक ही होगा। निश्चय ही शांति तो सभी चाहते हैं या यो कहें कि हर कोई अपने आप को शांति के दूत से कम नहीं समझता। किन्तु अब यदि आप इनसे पूछेंगे कि शांति के लिए क्या आप कोई त्याग करना चाहेंगे? तो निश्चित ही उत्तर वैसा सकारात्मक नहीं होगा। शांति तो सभी को चाहिए किन्तु अपनी- अपनी शर्तों पर। पराया धन और पराई जमीन पर अधिकार ज़माने वाले को भी शांति चाहिए।

भौतिक वस्तुओं की बात तो छोड़ दीजिये ये लोग शांति स्थापित करने के लिए अपने अहम् तक का भी त्याग नहीं कर सकते। सभी अपने गुरूर में बैठे हैं और फिर भी शांति के मसीहा भी दिखाई देना चाहते हैं। इनका यही अहंवाद आज के इस आलेख में चर्चा का विषय है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प और उत्तरी कोरिया के तानाशाह किम जोंग के बीच बहुप्रतीक्षित और बहुप्रचारित हनोई में हुई शिखर वार्ता फुस्स हो गयी। अब यहाँ तो कोई सीमा विवाद भी नहीं था। किन्तु इन नेताओं का अहम् इस वार्ता को भी ले डूबा। ट्रम्प का नोबल पुरस्कार पाने का सपना भी इसी के साथ ही टूट गया। अमेरिका चाहता था कि उत्तरी कोरिया अपने सारे परमाणु कार्यक्रम तुरंत बंद कर दे और उसका सबूत मिलने पर अमेरिका धीरे धीरे सारे आर्थिक प्रतिबन्ध भी उठा लेगा। किन्तु तानाशाह नहीं माना।

यद्यपि ट्रम्प ने वार्ता के पहले, युवा तानाशाह की कई प्रकार से प्रशंसा की और एक सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश भी की। दोस्ती करने की यह पहल वार्ता समाप्त होते होते तनाव में बदल गई। ये दोनों ही शांति चाहते हैं किन्तु अपनी अपनी शर्तों पर।  जितनी शर्तें, शांति उतनी दुर्लभ। ट्रम्प चाहते थे कि, किम सार्वजनिक रूप से पीछे हटने की घोषणा करें, वहीं किम चाहते थे कि ट्रम्प अमेरिका के प्रतिबंधों को उठाने की घोषणा करें। किम पूरी तरह से शस्त्रागार छोड़ने के लिए तैयार नहीं होंगे ऐसा  उत्तर कोरिया ने खुद बार-बार कहा था। शासक का अहम् जब टकराता है तो प्रजा के हित गौण हो जाते हैं और जब किसी मूर्ख या अक्खड़ शासक को अहंकार हो जाता है तो वह और भी खतरनाक हो जाता है।

यह सच है कि अहम् एक भ्रम है जो कभी न कभी टूटता ही है। पाकिस्तान जानता है कि भारत की सेना के सामने उसकी कोई औकात नहीं है, किन्तु यह सच्चाई मानने में उसका अहम् आड़े आ जाता है। पहले भी पाकिस्तान के आकाओं ने अपने आप को बड़ा भाई और बांग्लादेशियों को तुच्छ समझने की बड़ी गलती की और पूरा बांग्ला देश खो दिया। इधर बांग्लादेशी आज विकास में पाकिस्तान से बहुत आगे निकल चुके हैं। बलूचिस्तान में चल रही आज़ादी की लड़ाई भी पाकिस्तान के इसी गुरूर का परिणाम है।

पाकिस्तान ने हद तो तब कर दी जब अपने अहम् को धर्म के साथ जोड़ दिया। वहां की अनपढ़ और गंवार जनता को अंधेरी काली खाई में धकेल दिया। मुशर्रफ स्वीकार करते हैं कि मुजाहिदीन हमारी सेना का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस धार्मिक सेना को हमने ही पोषित किया है। इस प्रकार अपने अहम् के लिए शासकों ने अनपढ़ जनता को फिदायीन बना दिया।

हथियारों के बल पर दुनिया न पहले कभी जीती गयी और न भविष्य में कभी जीती जाएगी। किन्तु सभी अपने अपने मद में चूर हैं। आधुनिक युग में कोई भी देश जमीन के अपने वैध या अवैध दावे को छोड़ना नहीं चाहता। सभी ने जनता को देशप्रेम की आड़ में भ्रमित कर रखा है। चीन हो, रूस हो या जापान सभी के अपने अपने दावे हैं। याद कीजिये, महाभारत काल में मात्र पांच गांव ही तो चाहिए थे, इतने बड़े युद्ध को रोकने के लिए। दुर्योधन के अहम् को, कई शांति प्रस्तावों और वार्ताओं के बाद स्वयं भगवान भी नहीं निकाल पाए। अहम् ने महायुद्ध को न्यौता दे दिया। शांति के लिए कोई शर्त हो तो शांति संभव नहीं लगती। किन्तु न्याय न हो तब भी शांति संभव नहीं।

समर्थ और सक्षम शासक के साथ तो अहम् जुड़ा हुआ है पर यदि कोई नंगा है तो उसका अहम् और भी खतरनाक हो जाता है क्योंकि उसके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं। चाहे उत्तरी कोरिया हो या पाकिस्तान, जिन्होंने शैतानी करने की ठान ही रखी हो उनसे शांति की अपेक्षा कैसी ? अपने अहम् में उनकी संवेदनाएं मर चुकी हैं। उनका अहम् तो उनके मिटने के साथ ही मिट सकता है। पर क्या यह स्थिति सही विकल्प है ?

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

मजबूत और लंबे बालों के लिए 5 बेस्ट विटामिन जो करेंगे कमाल, जानिए हर एक के फायदे

मेंटल हेल्थ स्ट्रांग रखने के लिए रोजाना घर में ही करें ये 5 काम

Benefits of sugar free diet: 15 दिनों तक चीनी न खाने से शरीर पर पड़ता है यह असर, जानिए चौंकाने वाले फायदे

Remedies for good sleep: क्या आप भी रातों को बदलते रहते हैं करवटें, जानिए अच्छी और गहरी नींद के उपाय

Heart attack symptoms: रात में किस समय सबसे ज्यादा होता है हार्ट अटैक का खतरा? जानिए कारण

सभी देखें

नवीनतम

Rani durgavati:वीरांगना रानी दुर्गावती: मुगलों को कई बार चटाई धूल

तेज़ी से फैल रहा यह फ्लू! खुद को और अपने बच्चों को बचाने के लिए तुरंत अपनाएं ये 5 उपाय

महाराष्ट्र उर्दू साहित्य कला के 50 वर्ष पूरे होने पर बहार-ए-उर्दू, जावेद अख्तर,शेखर सुमन समेत कई हस्‍तियां करेंगी शिरकत

क्या फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों की पत्नी पहले पुरुष थीं?

जब पंड‍ित छन्‍नूलाल मिश्र ने मोदी जी से कहा था- मेरी काशी में गंगा और संगीत का ख्‍याल रखना

अगला लेख