किसान आंदोलन और सरकार के बीच यह ‘डेडलॉक’ देशभर के लिए मुसीबत न बन जाए?

नवीन रांगियाल
पिछले करीब 11 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन की अभी भी कोई राह निकलती नजर नहीं आ रही है। किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं तो सरकार उसमें स‍िर्फ जरूरी संशोधन करने की बात कर रही है।


दोनों पक्षों के बीच कई बार बैठक और चर्चा हो चुकी है लेकिन कोई हल नहीं निकल पा रहा है। उधर किसान पक्ष में बन चुके अलग अलग धड़ भी सरकार की मुसीबत बढ़ा रहे हैं। किसानों का एक धड़ा सरकार की बातचीत से सहमत होता है तो दूसरा नाराज हो जाता है।

एक तरह से किसान और सरकार के बीच एक डेडलॉक बन गया है। चिंता की बात यह है कि यह डेडलॉक बाकी देशवासियों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है।

दरअसल, कि‍सान आंदोलन दिल्‍ली हर‍ियाणा समेत कई इलाकों में चल रहा है। ऐसे में पुलि‍स और प्रशासन के लिए इस आंदोलन को संभालना मुश्‍क‍िल होता जा रहा है।

सरकार और किसानों के बीच होने वाली बातचीत हर बार बेनतीजा साब‍ित हो रही है इस गतिरोध के चलते जहां-जहां आंदोलन चल रहा है, वहां के शहरों और राज्‍यों के नागरिकों का जन-जीवन प्रभावित होने लगा है। खासतौर से दिल्‍ली बॉर्डर के आसपास वाले इलाकों में मुसीबत बढ़ रही है।

रास्‍ते जाम हैं, आवागमन बाधि‍त हो रहा है। चिल्‍ला और गाजीपुर जैसे इलाकों में स्‍थि‍ति खराब हो रही है। आंदोलन की वजह से जरूरी सामानों के लिए ट्रांसपोर्टेशन बाधि‍त हो रहा है, यही स्‍थि‍ति रही तो आगे चलकर तकलीफें और ज्‍यादा बढ़ जाएगी।

यानि किसान और सरकार के बीच के इस गतिरोध का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। यह भारत में होने वाले इस तरह के सभी आंदोलन की वजह से होता है। चाहे वो किसान आंदोलन हो या दिल्‍ली का शाहीन बाग प्रदर्शन। भुगतना आम लोगों को ही पड़ता है।

दूसरी चिंता को लेकर है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैक्‍सीन का इंतजार है तो ऐसे में देशभर में मास्‍क और सोशल ड‍िस्‍टेंसिंग पर जोर दिया जा रहा है। जबकि किसान आंदोलन में इसके ठीक उलट दृश्‍य नजर आ रहे हैं। वहां न तो मास्‍क हैं और न ही सोशल ड‍िस्‍टेंसिंग का पालन। ऐसे में कोरोना वायरस का भी खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।

ऐेसे में अब उम्‍मीद सिर्फ किसान नेताओं और सरकार से रह जाती है कि वे देश के हित में अपने फैसले लें। वे यह सोचे कि कितनी जल्‍दी इस आंदोलन का यह डेडलॉक ओपन हो और आम लोगों को राहत मिले इसके लिए किसानों और सरकार दोनों को अपनी जिद छोड़ना होगी और एक पुख्‍ता समाधान की तरफ आगे बढ़ना होगा।

नोट: इस लेख में व्‍यक्‍त व‍िचार लेखक की न‍िजी अभिव्‍यक्‍त‍ि है। वेबदुन‍िया का इससे कोई संबंध नहीं है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

क्या आप भी शुभांशु शुक्ला की तरह एस्ट्रोनॉट बनना चाहते हैं, जानिए अंतरिक्ष में जाने के लिए किस डिग्री और योग्यता की है जरूरत

हार्ट अटैक से एक महीने पहले बॉडी देती है ये 7 सिग्नल, कहीं आप तो नहीं कर रहे अनदेखा?

बाजार में कितने रुपए का मिलता है ब्लैक वॉटर? क्या हर व्यक्ति पी सकता है ये पानी?

बालों और त्वचा के लिए अमृत है आंवला, जानिए सेवन का सही तरीका

सफेद चीनी छोड़ने के 6 जबरदस्त फायदे, सेहत से जुड़ी हर परेशानी हो सकती है दूर

सभी देखें

नवीनतम

क्या दो देशों के बीच हो सकती है परमाणु हथियार की खरीद फरोख्त?, जानिए क्या हैं नियम

हिंदू धर्म से प्रेरित बेबी गर्ल्स के अ से मॉडर्न और यूनिक नाम, अर्थ भी है खास

पुण्यतिथि विशेष: मोटीवेशनल स्वामी विवेकानंद कोट्स

बिना धूप में निकले कैसे पाएं ‘सनशाइन विटामिन’? जानिए किन्हें होती है विटामिन डी की कमी?

बारिश है पसंद तो बेटी को दीजिए बरखा से प्रभावित ये नाम, अर्थ भी हैं सुन्दर

अगला लेख