‘अवॉर्ड के अहंकार’ ने लगा दिया ‘इंदौर पर कलंक’, इस कृत्‍य पर क्‍यों न करें थू-थू?

नवीन रांगियाल
सफाई में पिछले चार सालों से पूरे देश में नंबर एक आने वाले इंदौर पर सबको नाज था। स्‍थानीय प्रशासन को नागरिकों ने अपनी पलकों पर बि‍ठाया। आधी रात में झाडू लगाने वालों को ‘सफाई दूत’ की संज्ञा दी गई। हो भी क्‍यों नहीं… इसी बदोलत इंदौर को चार बार सबसे स्‍वच्‍छ शहर का तमगा भी मिला, क्‍योंकि इस शहर ने खुद को झाड़ा-पोंछा, अपने शरीर को घि‍‍स-घि‍सकर मांजा, धोया और फि‍र साफ किया!

इस तरह इंदौर ने अपनी शक्‍ल को तो चमका लिया, लेकिन 29 जनवरी की तारीख इस शहर की आत्‍मा पर लांछन लगा गई। मानवता पर एक ऐसा कलंक जो सफाई के किसी भी अवार्ड से साफ नहीं होगा। किसी रैंकिंग से इसके दाग नहीं धुलेंगे, क्‍योंकि इस दाग के छींटे इंदौर के चेहरे पर भी उड़े हैं और उसकी आत्‍मा पर भी।

पाचवीं बार सबसे साफ शहर का तमगा हासिल करने की सनक और पागलपन सड़कें, नालियां, गलियां और बाग-बगीचे साफ करने तो ठीक थे, लेकिन करीब 7 से 8 डि‍ग्री न्‍यूनतम तापमान की हांड़मांस कंपा देने वाली ठंड में गरीब, बेघर और बेसहारा बुजुर्गों को सूखा या गीला कचरे की तरह शहर के बाहर ट्रींचिंग ग्राउंड पर फेंक आने वाली अमानवीयता इंदौर नगर निगम ने आखि‍र कहां से सीखी। इसका जवाब स्‍वच्‍छता का अवार्ड लेने वाला इंदौर नगर निगम का कोई बड़ा अफसर भी नहीं दे पाएगा।

अव्‍वल तो यह है कि ऐसा निर्मम फैसला लेने से पहले निगम के किसी साहेब का दिल नहीं पसीजा। यहां तक कि सड़कों और फुटपाथों को बहुत नजदीक से जानने-समझने वाले ‘सफाई दूत’ भी बेसहारों को जंगल में छोड़ आने का दर्द नहीं समझ सके। जब उन खानाबदोंशों को दूर जंगल में लावारिसों की तरह धक्‍का देकर गाड़ी से उतारा गया होगा तो क्‍या किसी को अपने बुर्जुग मां- बाप की याद नहीं आई।

कुछ दिन पहले लॉकडाउन में मजदूरों के पलायन का दर्द महसूस कर अभिनेता सोनू सूद ने मदद का एक पूरा कारवां शुरू कर दिया था, उस परोपकारी सोनू सूद का दिल भी इस कृत्‍य से पसीज गया। इंदौर में हुए इस अमानवीय कृत्‍य के दृश्‍य देखकर उनका दिल भी रो दिया।

सैंकड़ों किमी दूर राजधानी दिल्‍ली में बैठी प्रि‍यंका गांधी भी क्षुब्‍ध हो गईं। उन्‍होंनें इंदौर की इस घटना को मानवता पर कलंक बताया और कहा कि सरकार और प्रशासन को इन बेसहारा लोगों से माफी मांगनी चाहिए और ऐसे निर्देश देने वाले छोटे कर्मचारियों पर ही नहीं बल्कि उच्चस्थ अधिकारियों पर भी सख्‍त कार्रवाई होना चाहिए।
बार-बार अवार्ड मिलने का अहंकार जब सि‍र पर सवार हो जाता है तो शायद इसी तरह मानवता की मिट्टी पलीत होती है। जो मिट्टी पलीत इंदौर प्रशासन ने बुर्जुगों के साथ क्रूर और बर्बर होकर की। जिस इंदौर ने इस प्रशासन को सफाई में अव्‍वल आने पर कृपा बरसाई, सत्‍कार किया और दुलार दिया था, अब वही शहर इस कृत्‍य पर इन रहनुमाओं पर थू-थू न करें तो क्‍या करें?

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

बालों की खोई चमक लौटाएगा शहतूत का हेयर मास्क: जानें बनाने का तरीका और फायदे

New Year Resolution 2025: नए साल में अपने वेट लॉस गोल को रियलिटी बनाएं, अपनाएं डाइटिशियन के बताए ये 7 टिप्स

दही में मिलाकर लगाएं ये एक चीज, बेजान बालों में लौट आएगी जान, जानें लगाने का सही तरीका

क्या शिशु के शरीर के बाल हटाने के लिए आटे का इस्तेमाल सही है? जानिए इस नुस्खे की सच्चाई

Christmas 2024 : रेड, शिमरी या वेलवेट? जानें क्रिसमस पार्टी के लिए बेस्ट आउटफिट आइडियाज

सभी देखें

नवीनतम

सालों से आंतों में जमी गंदगी होगी साफ, बस सुबह उठते ही पीजिए ये पानी

सर्दियों में हरी फलियां क्यों हैं सेहत का खजाना? जानें 6 बेहतरीन फायदे

टमाटर से चेरी तक, ये लाल रंग के सुपरफूड्स बनाएंगे दिमाग को तेज और एक्टिव

Merry Christmas 2024: क्रिसमस ट्री का रोचक इतिहास, जानें कैसे सजाते थे Christmas Tree

क्रिसमस सेलिब्रेशन के लिए ड्राई फ्रूट केक कैसे बनाएं

अगला लेख