बलात्कार से मुस्लिम तो गंगाजल से हिन्दू !

Webdunia
प्रीति सोनी 
इसे क्या कहा जाए, समझ से परे है। अपने मन के किसी भी काम को करने के लिए इंसान नाम का प्राणी बहाना ढूंढ ही लेता है। फिर आतंकी संगठनों को तो इंसानी श्रेणी में रखना भी संदेहास्पद है। आईएसआईएस में महिलाओं के साथ जो प्रताड़ना भरा यौन व्यवहार किया जाता रहा, और आईएस के तथाकथि‍त नियमों के आधार पर महिलाओं को बलात्कार का शि‍कार बनाया जाता रहा, उसके लिए अब तक तो बगदादी की निकृष्टतम आचार संहिता और आतंक के लिए इस्लाम के नाम का जिहादी आधार 
ही काफी था।
 
लेकिन अब तो भई आईएस, महिलाओं के एक नहीं कम से कम 10 बार बलात्कार करने का न सिर्फ पुख्ता कारण बयां कर रहा है, बल्कि उसे पूरी तरह से जायज ठहराने के लिए इस्लाम धर्म की आड़ भी बड़े भौंडे आत्मविश्वास के साथ ले रहा है।

आईएस का कहना है, कि 10 बार, वो भी अलग-अलग पुरूषों द्वारा बलात्कार किए जाने के बाद, कोई भी महिला मुस्लिम हो जाती है। इस बयान से एक बार फिर साबित किया जा रहा है, कि इस्लाम और जिहाद के नाम पर बंदूक उठाने वाले हाथों के पास दिमाग नाम की चीज है ही नहीं। यहां पर सवाल यह भी उठता है, कि यह बयान इस्लाम धर्म का सम्मान है या सरासर अपमान..जहां तहजीब और हराम शब्द का मतलब हर बाशिंदा जानता है।

बलात्कार जैसे कृत्य का संबंध किसी धर्म या जाति से नहीं बल्कि इंसान के जानवर बने की उस प्रक्रिया से है, जो अंतत: उसे जानवर साबित करके छोड़ती है। आपके अंदर छिपा जानवर यह बात अच्छी तरह से जानता है, और यह भी कि इंसानी समाज में य‍ह बात सर्वमान्य तो क्या पूरी तरह से अमान्य है। और बड़ी ही कायरता के साथ इसकी मान्यता प्राप्त करने का एकमात्र साधन आप धर्म नामक शब्द को मानते हैं, उसका सहारा भी लेते हैं, ताकि धर्म के नाम पर तथाकथि‍त इंसान भी, इस घृणि‍त पशुता का विरोध न कर सके। 
 
दूसरी बात यह भी उठती है, कि क्या महिला का जन्मजात धर्म नहीं होता ...10 बार बलात्कार होने पर वह मुस्लिम हो जाती है, तो फिर गंगाजल छिड़क दिए जाने पर हिंदू भी हो सकती है ! लीजिए खिंच गई दो धर्मों के बीच में एक और तलवार, और इस तलवार का नाम है महिला। अगर वह अविवाहित होते हुए किसी पुरूष के संपर्क में नहीं है, तो महान हिंदू महिला कहलाएगी, नहीं भी कहलाएगी तो गंगाजल तो है ही उसे पवित्र बनाने के लिए। और अगर वह 10 पुरूषों के शारीरिक संपर्क में रही तो निस्संदेह मुस्लिम। लेकिन हां इसमें जबरदस्ती शब्द शामिल करना अनिवार्य है, तभी तो कहलाएगा वह बलात्कार। 
 
अरे हां, यहां महिलाओं का एक महत्वपूर्ण वर्ग तो छूट ही गया। सेक्सवर्कर। जी हां, सेक्सवर्कर महिलाओं को आप किस श्रेणी में रखेंगे बगदादी साहब, जरा ये भी बता दीजिए।

अगर आपने अपने फरमान की तरह यह बयान दे ही दिया है, तो यह भी जान लें कि किसी धर्म विशेष के भी पहले महिला सिर्फ एक महिला होती है, और उसका सबसे बड़ा धर्म है उसकी अस्मिता। जिस धर्म के कारण उसे अपनी अस्मिता एक नहीं 10 बार गंवानी पड़े, वह भी जबरदस्ती, तो आप उस पर कितने ही तमगे लगा दीजिए अपने धर्म के, वह रूह से उसे कभी कुबूल नहीं करेगी।

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