जानवरों की आपात बैठक

मनोज लिमये
हाल ही में शहर के टाउन हॉल के नजदीक पड़े खली मैदान में देश में व्याप्त  घटनाओं पर जानवरों की एक आपात बैठक का ताबड़तोड़ आयोजन हुआ। खुशकिस्मती से जिस कुत्ते मोती को मैं रोजाना टोस्ट खिलाता था, वो भी उस बैठक में आमंत्रित था, सो मुझे इसकी सूचना मिल गई।


उसने मुझे बैठक स्थल के समीप की झाड़ियों में छुप कर कार्यवाही देखने का निमंत्रण दे दिया। इस अनोखे आयोजन को प्रत्यक्ष देखने का लोभ संवरण मुझसे नहीं हुआ और मैंने किसी कुशल अय्यार की भांति निर्धारित समय पर झाड़ियों में अपनी पोजीशन ले ली।
 
शहर की पॉश कॉलोनी वाला दिव्य कुत्ता जिसे सब टाइगर कह रहे थे, बैठक की अध्यक्षता कर रहा था। टाइगर ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा "जानवर मित्रों सब इस बात से परिचित ही हैं, कि शहरों के बिगड़ते माहौल, बढ़ती महंगाई तथा मानव द्वारा प्रकृति से की जा रही छेड़छाड़ की वजह से शहरों में हमारा बसर करना कठिनतम होता जा रहा है। समस्त उपस्थित साथी इस दिशा में अपनी-अपनी राय रखें और हल निकालें यही इस बैठक आयोजन का उद्देश्य है।"
 
मोती बोला- "जनाब पूर्व की स्थितियां भिन्न थीं, लोगों के घरों में इतना खाना बनता था कि हमें खाने की तलाश में कभी इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता था। आज देश में महंगाई की वजह से आम आदमी स्वयं ब्रेड-बिस्कुट खा रहा है तो हमें क्या मिलेगा? मटन-चिकन तो अब हमारे लिए ऐतिहासिक वस्तु बन गए हैं।" मटन का जिक्र आते ही अध्यक्ष और उपस्थित अन्य कुत्तों ने अपनी जिव्हा बाहर निकाली परंतु संसदीय मर्यादावश अविलंब भीतर भी खेंच ली।
 
उपस्थित गाय बोली "हमारा तो जीना दूभर हो चला है। सब्जी मंडी में सब्जी वाले सब्जियों की रक्षा ऐसे कर रहे हैं कि सराफा बाजार के व्यापारी भी शर्मा जाएं। देश में नेता-संत खुले आम अप्राकृतिक कृत्य कर रहे हैं और हमें प्राकृतिक संपदा भी नसीब नहीं हो रही है पीछे खड़ी भैंस ने भी पूंछ उठाकर गाय की कही इस बात का समर्थन किया। 
 
अचानक बिल्ली खड़ी हुई और बोली - "हमारा आसरा तो घरों में मिलने वाला दूध ही था लेकिन फ्रिज ने हमारी जीविका ही लगभग छीन ली है। पहले दूध सस्ता था तो मानव थोड़ा लापरवाह भी था, परंतु अब तो वो दूध को भी जेवर की भांति सहेज कर रखता है।"
 
सभी उपस्थित जानवरों की बात सुन अध्यक्ष के पास बैठा बुजुर्ग भैंसा बोला - "देखिए मैं मानता हूं कि हमारे हालात अच्छे नहीं हैं, किंतु यह भी कटु सत्य है तथा आप मुझ से इत्तेफाक भी रखेंगे कि इंसानों के हालात हमसे भी बदतर होते जा रहे हैं। आम इंसान स्वयं जानवरों सा जीवन जीने को बाध्य है तो हमारी व्यथा तो व्यर्थ ही हुई ना ?
 
बुजुर्ग भैंसे द्वारा कही गई इस सारगर्भित समीक्षा से सभी सहमत नजर आए। जानवरों ने सामूहिक एजेंडा पारित किया कि लोकसभा चुनावों तक और इंतजार किया जा यदि इस दफा भी इंसानों की हालत में कोई सुधार नहीं आया तो फिर इंसान करे न करे हम जानवर जरूर बगावत करेंगे।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

चैत्र नवरात्रि 2025: नवरात्रि में कम करना चाहते हैं वजन, तो भूलकर भी ना खाएं ये 6 चीजें

गुड़ी पड़वा पर क्यों खाई जाती है कड़वी नीम और गुड़, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

डायबिटीज-कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकते हैं नवरात्रि व्रत में खाए जाने वाले ये 7 सुपर फूड, सेहत को मिलते हैं अनगिनत फायदे

Chaitra navratri diet: नवरात्रि में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल? जानें सही डाइट टिप्स

चैत्र नवरात्रि में घर के वास्तु दोष दूर करने के लिए करिए ये सरल उपाय, मां दुर्गा की बरसेगी कृपा

सभी देखें

नवीनतम

बैठते या खड़े होते समय चटकती है पैरों की हड्डियां? जानिए इसके 5 बड़े कारण

सुबह उठते ही लगती है तेज भूख? जानिए इसके 5 चौंकाने वाले कारण और राहत के उपाय

सीधे किडनी पर वार करता है क्रिएटिनिन, जानिए बॉडी में इसके बढ़ने से क्या होता है?

चैत्र नवरात्रि में कौन सा रंग पहनें? जानें 9 दिन के 9 रंगों का शुभ महत्व

क्यों नहीं खाने चाहिए तुलसी के पत्ते चबाकर, जानिए क्या कहता है विज्ञान

अगला लेख