No shave November: आखि‍र क्‍या है ‘नो शेव नवंबर’ जिसे पूरी दुनिया के मर्द करते हैं सेलिब्रेट?

नवीन रांगियाल
जैसे ही नवंबर का महीना आता है, ट्व‍िटर हो या फेसबुक या फि‍र इंस्‍टाग्राम। सभी जगह ‘नो शेव नवंबर’ के बारे में पोस्‍ट और मीम्‍स नजर आने लगते हैं। कहीं हैशटैग चलता है तो कहीं लंबे बालों, दाढ़ी और मूंछों में ज्‍यादातर मर्द अपने फोटो शेयर करने लगते हैं।

आखिर ऐसा क्‍या है कि नवंबर आते ही ऐसा होने लगता है। आइए जानते हैं।

दरअसल, हर साल नवंबर में ‘नो शेव नवंबर’ मनाया जाता है। यानि यही वो महीना है जब पुरुष शेविंग नहीं करते और अपने बाल नहीं कटवाते हैं।

यह सिर्फ शेव न बनाने तक ही सीमित नहीं है। कटिंग, वैक्सिंग, थ्रेडिंग यानी शरीर के बालों को हटाने के लिए किया जाना वाला हर इंतजाम नवंबर में रोक दिया जाता है। दिलचस्‍प यह है कि ऐसा सिर्फ किसी एक शहर या देश में नहीं, बल्कि दुनियाभर में किया जाता है। यानि‍ नवंबर ‘नो शेव नवंबर’ है।

हालांकि ज्‍यादातर लोग जो ‘नो शेव नवंबर’ सेलिब्रेट करते हैं उन्‍हें पता नहीं होता है कि आखि‍र ऐसा क्‍यों किया जा रहा है। वहीं कुछ आलसी लोगों के लिए यह महीना सुवि‍धाभरा होता है कि कम से कम उन्‍हें इस महीने में दाढ़ी-कटिंग का झंझट नहीं करना होगा।

तो आखिर ऐसा क्‍यास है कि नवंबर के महीने में लोगों का ‘बाल’ प्रेम जाग उठता है।

‘नो शेव नवंबर’ दरअसल कैंसर खासकर प्रोस्टेट कैंसर के प्रति जागरूकता के लिए शुरू किया गया था। इस अभियान का समर्थन करने वाले लोग नवंबर के महीने में दाढ़ी या बालों को कटवाना बंद कर देते हैं। जो खर्च बालों के रखरखाव, दाढ़ी और कटिंग में लगता है वो खर्च इस अभियान में दान दे दी जाती है। ‘नो शेव नवंबर’ अभियान की शुरूआत एक अमेरिकी गैर-लाभकारी संगठन ‘मैथ्यू हिल फाउंडेशन’ ने साल 2009 में की थी।

कैसे शुरू हुआ ‘नो शेव नवंबर’?
मैथ्यू हिल फाउंडेशन इन पैसों को उन संस्थाओं तक पहुंचाता है जो कैंसर से बचाव, इलाज या शोध और शिक्षा के लिए काम कर रही हैं। नवंबर 2007 में अमेरिका के शिकागो शहर में रहने वाले मैथ्यू हिल की कैंसर से लड़ते हुए मौत हो गई थी। इसके बाद उनके आठ बच्चों ने अपने पिता को सम्मान देने और उन्हीं की तरह कैंसर से लड़ रहे लोगों की मदद के लिए कुछ करने की सोची और उन्‍होंने ‘नो शेव नवंबर’ कैंपेन की शुरुआत की। शुरू के दो सालों में इसे सोशल मीडिया के जरिए दुनियाभर में पहुंचाने की कोशिश की गई। बाद में धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में लोकप्र‍िय हो गया। अब लोग इसके बारे में भले जाने या नहीं जाने, वे ‘नो शेव नवंबर’ सेलि‍ब्रेट करते हैं।

ठीक इसी तरह से ‘मोवेंबर’ भी है। मोवेंबर दो शब्दों मुश्टैश (मूंछ) और नवंबर को मिलाकर बनाया गया शब्द है। यह भी एक जागरूकता अभियान ही है। लेकिन दोनों में सिर्फ इतना फर्क है कि नो शेव नवंबर में सिर्फ कैंसर जागरूकता के लिए काम किया जाता है, वहीं मोवेंबर में पुरुषों को उनकी हेल्‍थ और लाइफस्‍टाइल के प्रति जागरुक करने का काम किया जाता है। 2004 में शुरू हुए इस अभियान में पुरुष नवंबर में मूंछें उगाकर इसे अपना समर्थन देते हैं।

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